अन्ना अरविंद केजरीवाल से इसलिए नाराज थे कि उनके अंदर राजनीतिक महत्वाकांशाए उभार मारने लगी थी। जबकि अन्ना आंदोलन को राजनीति से दूर रखना चाह रहे थे। हां से बात बहुत हद तक सही हैं कि अन्ना अरविंद केजरीवाल से इसलिए भी नाराज थे कि वे उनकी लाइन से हटकर आंदोलन को राजनीति की ओर मोड़ रहे थे।
नई दिल्ली: अन्ना हजारे भारत का एक जाना पहचाना नाम है। इंडियन आर्मी में अपनी सेवाएं देने वाले एवं सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे आज अपना 84वां जन्मदिन मना रहे हैं। उनका जन्म आज ही के दिन 1937 को महाराष्ट्र के रालेगण सिद्दी हुआ था। महाराष्ट्र के एक गरीब मराठा परिवार में जन्में अन्ना को भले ही भारत सरकार ने पद्मविभूषण से सम्मानित किया हो, किन्तु सत्ता की राजनीति में आने के हर ऑफर को इस समाजसेवी ने कभी स्वीकार नहीं किया।
आपको आज हम उनके जीवन का एक ऐसा किस्सा सुनाने जा रहें हैं जिसे शायद ही आपने सुना होगा या इस किस्से के बारे में बहुत कम लोग जानते होंगे। ये बात बहुत कम लोगों को मालूम है कि अन्ना हजारे और अरविंद केजरीवाल क्यों अलग हुए। लोग अक्सर ये ही सोचतें हैं कि अन्ना हजारे और अरविंद केजरीवाल में आंदोलन के तरीकों को लेकर मतविभेद था।
अन्ना अरविंद केजरीवाल से इसलिए नाराज थे कि उनके अंदर राजनीतिक महत्वाकांशाए उभार मारने लगी थी। जबकि अन्ना आंदोलन को राजनीति से दूर रखना चाह रहे थे। हां से बात बहुत हद तक सही हैं कि अन्ना अरविंद केजरीवाल से इसलिए भी नाराज थे कि वे उनकी लाइन से हटकर आंदोलन को राजनीति की ओर मोड़ रहे थे। लेकिन इन सब से अलग अन्ना की अरविंद केजरीवाल से नाराजगी की सबसे बड़ी बजह जो थी वह थी पैसे को लेकर।
अन्ना हजारे चाहते थे कि अरविंद केजरीवाल आंदोलन में आए पैसे का पाई पाई का हिसाब जन आंदोलन से जुड़े लोगों के सामने ही नहीं बल्कि जनता के सामने भी सार्वजनिक करे. वे इसके लिए केजरीवाल पर दवाब बना रहे थे। लेकिन केजरीवाल इसके लिए तैयार नहीं थे। इसको लेकर दोनों के बीच कहा सुनी हो गई। बात गरमा गरमी तक पहुंच गई। वहां उपस्थित लोगों ने दोनों के बीच मामले को शांत कराया। यह बैठक अन्ना आदोंलन के नेता और जाने माने वकील प्रशांत भूषण के नौएडा स्थित घर पर चल रही थी।
बैठक में अन्ना का अरविंद केजरीवाल को साफ कहना था कि जब हम कांग्रेस सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार की लड़ाई लड़ रहे हैं और सिस्टम में पारदर्शिता की बात कर रहे हैं तो हमे भी अपने यहां पारदर्शिता अपनानी चाहिए। हमे जनता से मिले एक एक पैसे का हिसाब उसको देना चाहिए। जो जनता हमसे इस उम्मीदों के साथ जुड़ी है कि हम भ्रष्टाचार के खात्में के लिए पारदर्शिता की बात कर रहे हैं तो हमें भी उस जनता को भरोसा दिलाना होगा कि हम भी उनसे मिली पाई पाई का हिसाब रख रहे हैं।
लेकिन अरविंद केजरीवाल छोटे छोटे हिसाब को लिखित में लाने और सार्वजनिक करने को तैयार नहीं थे। बताया जाता है कि अन्ना हजारे अरविंद केजरीवाल से करीब 20 लाख रूपए का हिसाब मांग रहे थे। लेकिन केजरीवाल कह रहे थे कि अन्ना इतना बड़ा आंदोलन है उसमें छोटे छोटे हिसाब लिखना संभव नहीं है। इस पर जब अन्ना अड़ गए। बताया जाता है कि अरविंद केजरीवाल बैठक मे अपना सिर पकड़ कर बैठ गए और कहने लगे कि अन्ना मैं ऐसे आंदोलन नहीं कर पाउंगा।
इसी बीच किरण बेदी ने हस्तक्षेप कर अन्ना से कहा कि अन्ना ये बात सही है कि आंदोलन में कई बार बहुत छोटे हिसाब रखना संभव नहीं है। इसमें चूक हो जाती है। वहीं अन्ना की टीम के एक अन्य सदस्य मुफ्ती शमून कासमी ने देखा कि पैसों को लेकर अन्ना और केजरीवाल में विवाद हो रहा था तो उन्होंने चोरी से इस पूरे विवाद को अपने मोबाइल में रिकार्ड करना शुरू कर दिया था। लेकिन इसी बीच केजरीवाल की ओर से उस समय मीडिया का काम देख रहे विभुव की नजर मुफ्ती शमून कासमी पर पड़ गई। उन्होंने मामला सामने आने पर उन्हें आंदोलन से बाहर कर दिया। लेकिन उस दिन पैसे को लेकर हुए विवाद ने अन्ना के दिल दरवाजे केजरीवाल के लिए तंग हो गए। यही वह दिन था जब दोनों के बीच पहली बार दरार पड़ी और बाद में यह इस हद तक बढ़ी कि दोनों ने अपने रास्ते अलग कर लिए।