Disadvantages of sleeping for too long: अधिकतर लोग नींद पूरी होने के बावजूद देर तक बिस्तर पर पड़े सोते रहते है। क्या आप जानते है अपनी इस आदत से आप अपने दिमाग को बीमार बना रहे है।आमतौर पर सात से आठ घंटे की नींद लेना शरीर के लिए बेहद जरुरी होती है। इससे अधिक नींद सोना दिमाग और शरीर दोनो पर बुरा असर डाल सकती है।
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बहुत अधिक सोने से ब्रेन की कार्यप्रणाली में बदलाव आ सकता है। अधिक सोने से मस्तिष्क के न्यूरोट्रांसमीटर्स जैसे डोपमामिन का संतुलन बिगड़ सकता है, जिससे मानसिक थकान महसूस होती है। इससे ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होती है और कामों में फोकस बनाएं रखने में दिक्कत आ सकती है।
जरुरत से ज्यादा सोने से डिप्रेशन और एंग्जायटी की समस्याएं बढ़ सकती है। बहुत ज्यादा सोने से मूड नियंत्रण वाले हिस्से को प्रभावित करता है, जिससे मानसिक स्थिति पर नकारात्मक असर पड़ता है।
बहुत ज्यादा सोने से मस्तिष्क में सुस्ती महसूस हो सकती है। यह स्थिति उस समय उत्पन्न होती है, जब मस्तिष्क ठीक से जागृत नहीं होता, जिससे याददाश्त कमजोर पड़ सकती है। लंबे समय तक ज्यादा सोने से यह स्थिति स्थायी हो सकती है, जिससे मानसिक क्षमता पर असर पड़ता है।
इतना ही नहीं बहुत अधिक देर तक सोते रहने से मस्तिष्क के अलावा शरीर के अन्य हिस्सों को भी बुरा असर पड़ सकता है। इससे मेटाबोलिक बदलाव हो सकते हैं, जैसे वजन बढ़ना और इंसुलिन संवेदनशीलता कम होना।
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इन शारीरिक समस्याओं का मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है, क्योंकि यह ब्रेन की कार्यप्रणाली को बाधित करता है। साथ ही यदि कोई व्यक्ति लंबे समय तक ज्यादा सोता है, तो इससे उम्र बढ़ने के साथ-साथ मस्तिष्क की कार्यप्रणाली में गिरावट आ सकती है। विशेषकर अल्जाइमर जैसी बीमारियां इस कारण से उत्पन्न हो सकती हैं।