नई दिल्ली। सेबी (SEBI) ने अडानी-हिंडनबर्ग मामले (Adani-Hindenburg Case) में बड़ा खुलासा किया है। सोमवार SEBI ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अडानी ग्रुप (Adani Group) की किसी भी लिस्टेड कंपनी की जांच 2016 से SEBI नहीं कर रही है, इस तरह के सभी दावे गलत हैं। मीडिया रिपोर्ट की माने तो सेबी ने अडानी ग्रुप के क्रिया-कलाप को लेकर तमाम तरीकों से सफाई दी।
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सेबी की तरफ से सप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि साल 2016 से अडानी समूह की जांच के तमात दावे गलत हैं। अडानी समूह की कोई भी लिस्टेड कंपनी इस अवधि में सेबी की ओर से की गई 51 कंपनियों की जांच में शामिल नहीं है। सेबी की तरफ से बताया गया है कि 2016 से अब तक 51 कंपनियों की जांच की गई है। ये जांच इन लिस्टेड कंपनियों द्वारा ग्लोबल डिपॉजिटरी रसीदें जारी करने से संबंधित हैं। इस जांच में अडानी की कोई भी लिस्टेड कंपनी शामिल नहीं थी।
ऐसे में अडानी समूह की किसी भी कंपनी के खिलाफ जांच लंबित होने की बात करना आधारहीन है। सेबी ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया। इसके साथ ही SEBI ने हलफनामे में हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद शुरू हुए अडानी ग्रुप की जांच को लेकर भी जानकारी दी है।
सेबी ने कहा कि हिंडनबर्ग ने अडानी समूह पर जो आरोप लगाए हैं, जिन 12 संदिग्ध ट्रांजैक्शन की बात कही है, वो सीधे-सपाट नहीं है। मामला काफी जटिल है। इनसे जुड़े लेन-देन दुनिया के कई देशों में स्थित फर्म्स से संबंधित है। इससे पहले 12 मई को इस केस की सुनवाई के दौरान SEBI ने कोर्ट से छह महीने का अतिरिक्त समय मांगा था। हालांकि कोर्ट ने ये समय देने से फिलहाल इंकार कर दिया।