सनातन धर्म में स्नान और दान का बहुत महत्व है। पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा सदियों से चलती आ रही है।
Magha snana 2022: सनातन धर्म में स्नान और दान का बहुत महत्व है। पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा सदियों से चलती आ रही है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। पौष पूर्णिमा से माघ स्नान की शुरुआत होगी और माघ पूर्णिमा को इसका समापन होगा। इस प्रकार माघ महीने की शुरुआत 18 जनवरी से हो रही है। पद्मपुराण के अनुसार पूजा करने से भी भगवान श्रीहरि को उतनी प्रसन्नता नहीं होती, जितनी कि माघ महीने में स्नान मात्र से होती है।
पौष माह की पूर्णिमा तिथि 17 जनवरी यानी सोमवार को है। हालांकि तारीख को लेकर कंफ्यूजन इस बार नहीं है। क्योंकि पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 17 जनवरी यानी सोमवार रात्रि 3 बजकर 17 मिनट से हो रही है और पूर्णिमा तिथि 18 जनवरी यानी मंगलवार सुबह 5 बजकर 17 मिनट तक है। उदया तिथि के हिसाब से पूर्णिमा की पूजा 17 जनवरी को की जाएगी।
इस व्रत को करने के लिए व्यक्ति को दिन भर उपवास रखना चाहिए। संध्याकाल में किसी प्रकांड पंडित को बुलाकर सत्यनारायण की कथा श्रवण करना चाहिए। इस पूजा में सबसे पहले गणेश जी की, इसके बाद इंद्र देव और नवग्रह सहित कुल देवी देवता की पूजा की जाती है।