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Modi cabinet expansion: अटल बिहारी वाजपेयी के निजी सचिव रह चुके हैं अश्विनी वैष्णव, अब मोदी सरकार में बढ़ाएंगे रेल की रफ्तार

मोदी कैबिनेट के विस्तार में अश्विनी वैष्णव को देश का नया रेल मंत्री बनाया गया है। अश्विनी वैष्णव आईआईटी कानपुर से पढ़े हैं, जबकि 1994 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। उनकी ऑल इंडिया लेवल पर 27वीं रैंक आई थी। इसके बाद उन्होंने ओडिशा के बालासोर और कटक जिले के डीएम के तौर पर काम किया था। वहीं, अब मोदी सरकार में उन्हें रेल मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है। ऐसे में उनके मोदी मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं।

By शिव मौर्या 
Updated Date

नई दिल्ली। मोदी कैबिनेट के विस्तार में अश्विनी वैष्णव को देश का नया रेल मंत्री बनाया गया है। अश्विनी वैष्णव आईआईटी कानपुर से पढ़े हैं, जबकि 1994 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। उनकी ऑल इंडिया लेवल पर 27वीं रैंक आई थी। इसके बाद उन्होंने ओडिशा के बालासोर और कटक जिले के डीएम के तौर पर काम किया था। वहीं, अब मोदी सरकार में उन्हें रेल मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है। ऐसे में उनके मोदी मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं।

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बता दें कि, 1994 बैच के आईएएस अधिकारी रहे अश्विन वैष्णव ने 2003 में ओडिशा में काम किया था। इाके बाद उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजयेयी के ऑफिस में डिप्टी सेक्रेटरी की जिम्मेदारी दी गई थी। यहां उन्होंने इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप का खाका तैयार किया था। इसके बाद जब अटल जी की सरकार चली गई, तब वैष्णव उनके निजी सचिव के तौर पर काम देखने लगे थे।

फिर 2006 में उन्हें मोरमुगाओ पोर्ट ट्रस्ट के डिप्टी चेयरमैन के तौर पर काम दिया गया था। इसके साथ ही दो साल तक उन्होंने दो साल तक उन्होने इस पद पर काम किया और फिर एमबीए के लिए विदेश चले गए। भारत वापसी के बाद उन्होंने GE ट्रांसपोर्टेशन कंपनी में मैनेजिंग डायरेक्टर के तौर पर काम किया। कुछ और कंपनियों में भी वह रहे, लेकिन आखिर में 2012 में उन्होंने कॉरपोरेट सेक्टर छोड़ दिया।

इसके बाद उन्होंने गुजरात में दो कंपनियां स्थापित कीं। इन कंपनियों का काम ऑटोमेटिव कम्पोनेंट्स की मैन्युफैक्चरिंग करना था। यह उनका गुजरात कनेक्शन था। उद्यमी होने के साथ ही वह राजनीति से भी जुड़े रहे और 2019 में बीजेपी ने उन्हें ओडिशा से राज्यसभा भेजा। यहां तक कि उनकी उम्मीदवारी का राज्य की सत्ताधारी पार्टी बीजेडी ने भी समर्थन किया था और वह निर्विरोध चुने गए थे।

 

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