Rahul Gandhi Modi Surname Case: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) से जुड़ी याचिका पर सुनवाई कर रहे जस्टिस बीआर गवई (Justice BR Gavai) ने खुद को केस से अलग करने की पेशकश तक कर दी। दरअसल, उन्होंने इसके लिए कांग्रेस के साथ अपने पारिवारिक रिश्ते होने का हवाला दिया।
Rahul Gandhi Modi Surname Case: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) से जुड़ी याचिका पर सुनवाई कर रहे जस्टिस बीआर गवई (Justice BR Gavai) ने खुद को केस से अलग करने की पेशकश तक कर दी। दरअसल, उन्होंने इसके लिए कांग्रेस के साथ अपने पारिवारिक रिश्ते होने का हवाला दिया। बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की तरफ से राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के खिलाफ केस करने वाले भारतीय जनता पार्टी नेता पूर्णेश मोदी (Bharatiya Janata Party leader Purnesh Modi(और गुजरात सरकार (Government of Gujarat) को नोटिस भेजा है। इस मामले पर 4 अगस्त को सुनवाई होगी।
जस्टिस वीआर गवई (Justice BR Gavai) ने कहा कि मेरे पिता इससे (कांग्रेस) से जुड़े हुए थे। वह कांग्रेस के सदस्य नहीं थे, लेकिन इससे जुड़े हुए थे। सिंघवी जी आप भी कांग्रेस के साथ 40 सालों से ज्यादा समय से हैं और मेरे भाई अब भी राजनीति में हैं और कांग्रेस में हैं। कृपया आप लोग फैसला लें कि मुझे इस सुनवाई में शामिल करना चाहते हैं या नहीं।’
हालांकि, दोनों ही पक्षों ने जस्टिस वीआर गवई (Justice BR Gavai) के मौजूद रहने पर कोई आपत्ति नहीं जताई। इसके बाद बेंच की तरफ से नोटिस जारी किए गए। शुक्रवार को जस्टिस बीआर गवई (Justice BR Gavai) और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा (Justice Prashant Kumar Mishra) याचिका पर सुनवाई कर रहे थे।
कोर्ट का तुरंत राहत देने से इनकार
एडवोकेट सिंघवी की तरफ से कहा गया कि याचिकाकर्ता 111 दिनों से भुगत रहे हैं। वह पहले संसद का एक सत्र गंवा चुके हैं और एक और गंवा रहे हैं। वायनाड संसदीय क्षेत्र (Wayanad Parliamentary Constituency) के लिए चुनाव जल्द होंगे। जेठमलानी जी अयोग्यता को लेकर चिंतित नहीं होंगे। अयोग्यता को अंतरिम रूप से निलंबित किया जा सकता है।’ इस पर कोर्ट ने कोई भी आदेश जारी करने से इनकार कर दिया और कहा कि दूसरे पक्ष को भी सुना जाना जरूरी है।
क्या था मामला?
साल 2019 में कर्नाटक में एक रैली के दौरान ‘मोदी सरनेम’ (Modi Surname) को लेकर राहुल ने टिप्पणी कर दी थी। सूरत की कोर्ट की तरफ से उन्हें आपराधिक मानहानि (Defamation Case) का दोषी पाया गया था। साथ ही उन्हें दो साल की सजा सुनाई गई थी।