कला और ज्ञान की देवी मां सरस्वती की कृपा जिसके ऊपर बन जाए उस कलाकार की कला में चार चांद लग जाता है। कला की देवी मां वीणापाणि, शुक्लवर्ण,शुक्लाम्बरा, वीणा-पुस्तक-धारिणी तथा श्वेतपद्मासना कही गई हैं।
Basant Panchami 2022: कला और ज्ञान की देवी मां सरस्वती की कृपा जिसके ऊपर बन जाए उस कलाकार की कला में चार चांद लग जाता है। कला की देवी मां वीणापाणि, शुक्लवर्ण,शुक्लाम्बरा, वीणा-पुस्तक-धारिणी तथा श्वेतपद्मासना कही गई हैं। देवी भागवत के अनुसार मां सरस्वती वैकुण्ठ में निवास करने वाली है। माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मां सरस्वती की पूजा अर्चना करने का विशेष दिन है। वाणी और कला की देवी मां सरस्वती की पूजा धूमधाम से पूरे देश की जाती है। जिन लोगों को ज्ञान, वाणी और कला में बेहतर प्रदर्शन करना है, उन्हें मां सरस्वती की पूजा जरूर करनी चाहिए। मान्यता है कि सरस्वती माता की पूजा इस दिन करने से वे जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं। आईये जानते हैं कि इस पर्व को कैसे मनाया जाता है।
माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि
प्रारंभ 05 फरवरी यानी शनिवार को प्रातः: 03:47 बजे से रविवार को प्रातः: 03:46 बजे तक
पूजन का मुहूर्त सुबह 07:07 बजे से लेकर दोपहर 12:35 तक
सिद्ध योग शाम 05 बजकर 42 मिनट तक
माँ सरस्वती को मौसम में आसानी से उपलब्ध होने वाले पीले फूलों को चढ़ाए जाने का विधान है। यह त्योहार माँ सरस्वती को समर्पित होने के कारण, इस दिन पाठ्य सामग्री जैसे कलम और कॉपी की पूजा करनी चाहिए। इस दिन निम्नलिखित कार्यों को करना बेहद शुभ माना जाता है जैसे, मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा, घर की नींव रखना, गृह प्रवेश, वाहन खरीदना, व्यापार शुरू करना आदि।