हिंदू पंचांग के अनुसार, पौष माह दसवां महीना है। पौष माह की अमावस्या की यह तिथि देवताओं की पूजा करने और मृत पूर्वजों के लिए अनुष्ठान करने के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।
Paush Amavasya 2021: हिंदू पंचांग के अनुसार, पौष माह दसवां महीना है। पौष माह की अमावस्या की यह तिथि देवताओं की पूजा करने और मृत पूर्वजों के लिए अनुष्ठान करने के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। अमावस्या तिथि पितरों को समर्पित होती है। ऐसी मान्यता है कि इस माह में पितरों के निमित्त पिंड दान करने से उन्हें भटकना नहीं पड़ता और वे सीधा बैकुंठ की ओर प्रस्थान कर जाते हैं। हर माह कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या ही होती है और उसके बाद शुक्ल पक्ष की शुरुआत हो जाती है।
पौष माह की अमावस्या (Amavasya) नए साल में 2 जनवरी को पड़ेगी। पौष मास को सौभाग्य लक्ष्मी के रूप में भी जाना जाता है। शास्त्रों और हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह माना जाता है कि पौष अमावस्या की पूर्व संध्या पर धन लक्ष्मी और धन्य लक्ष्मी की पूजा करना शुभ होता है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से विशेष आर्शिवाद प्राप्त होता है।
पौष अमावस्या शुभ मुहूर्त
पौष अमावस्या तिथि : 2 जनवरी, 2022, रविवार
पौष अमावस्या प्रारंभ : 2 जनवरी सुबह 3 बजकर 43 मिनट से शुरू होकर
पौष अमावस्या समाप्त : 3 जनवरी सुबह 5 बजकर 26 मिनट पर तक
जो व्यक्ति शनि दोष या पितृ दोष से पीड़ित हैं, उनके लिए पौष अमावस्या मृत पूर्वजों के श्राद्ध समारोहों को के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। पूर्वजों का आशीर्वाद लेने के लिए तिल दान, वस्त्र दान, अन्न दान, पिंडदान या किसी अन्य प्रकार का दान नदी के किनारे, तीर्थ स्थलों और मंदिरों में किया जा सकता है। ऐसे सभी कार्य विद्वान पुजारियों के मार्गदर्शन में किए जाने चाहिए ताकि वे सही तरीके से हों और इससे अधिकतम लाभ प्राप्त हो सकें।