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साक्षी मलिक की बृजभूषण शरण सिंह को दी खुली चुनौती, यदि वह सच्चे तो ‘नार्को टेस्ट कराकर और खुद की बेगुनाही साबित करें’

ओलंपिक पदक विजेता पहलवान साक्षी मलिक (Sakshi Malik) ने बुधवार को डब्ल्यूएफआई प्रमुख (WFI Chief) बृजभूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh) को नार्को टेस्ट कराने और खुद को बेगुनाह साबित करने की चुनौती दी। उन्होंने कहा कि वह निर्दोष हैं तो मेरी चुनौती स्वीरकार अपने आपको पाक साफ घोषित करें।

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। ओलंपिक पदक विजेता पहलवान साक्षी मलिक (Sakshi Malik) ने बुधवार को डब्ल्यूएफआई प्रमुख (WFI Chief) बृजभूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh) को नार्को टेस्ट कराने और खुद को बेगुनाह साबित करने की चुनौती दी। उन्होंने कहा कि वह निर्दोष हैं तो मेरी चुनौती स्वीरकार अपने आपको पाक साफ घोषित करें। साक्षी मलिक (Sakshi Malik) ने यह वीडियो को ट्वीट कर अप्रत्यक्ष रूप से श्री सिंह पर हमला बोला है।

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साक्षी मलिक का बयान ऐसे समय में आया है, जबकि दिल्ली की एक अदालत ने डब्ल्यूएफआई चीफ और भाजपा सांसद बृजभूषण के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों में दर्ज प्राथमिकियों पर दिल्ली पुलिस से स्थिति रिपोर्ट मांगी है।

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बता दें कि अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल ने प्रदर्शनकारी पहलवानों की याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है। याचिका में मांग की गई है कि जांच की निगरानी की जाए और कथित पीड़ितों के बयान अदालत के समक्ष दर्ज कराये जाएं। इसमें दावा किया गया है कि 28 अप्रैल को प्राथमिकियों के दर्ज होने के बाद से पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की है।

अदालत ने पुलिस को 12 मई तक रिपोर्ट दाखिल करने को कहा कि जब वह मामले में आगे सुनवाई करेगी। याचिका में दावा किया गया, ‘पुलिस कोई जांच करने को तैयार नहीं है। पुलिस ने अदालत के समक्ष पीड़ितों के बयान तक दर्ज नहीं किये हैं। बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दोनों प्राथमिकियों की प्रतियां भी सीलबंद लिफाफे में अदालत में पेश की गई। एक प्राथमिकी एक नाबालिग से यौन उत्पीड़न के मामले में ‘यौन अपराधों से बालकों का संरक्षण’ (पॉक्सो) कानून के तहत दर्ज की गई है, वहीं दूसरी अन्य शिकायतकर्ताओं के यौन उत्पीड़न के आरोपों में दर्ज की गई है।

महिला पहलवानों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। जिसके बाद 28 अप्रैल को इस मामले में दो प्राथमिकी दर्ज की गई थीं। याचिकाकर्ताओं के वकील ने दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मद्देनजर प्राथमिकी दर्ज होने के 24 घंटे के भीतर पीड़ितों के बयान अदालत में दर्ज होने चाहिए थे। उन्होंने कहा कि प्राथमिकियों के दर्ज होने के तीन दिन बाद बयान दर्ज किये गये।

वकील ने दावा किया कि आरोप है कि खेल मंत्रालय में एक अधिकारी ने एक पीड़ित पहलवान के पति को बुलाया था और मामले को निपटाने के लिए कहा था। वकील का यह भी आरोप है कि एक राज्य कुश्ती संघ के अधिकारी ने एक पीड़िता के कोच और परिवार से संपर्क साधकर मामले के निस्तारण का प्रयास किया था। वकील ने दावा किया कि उस व्यक्ति ने कहा कि लड़कियों ने गलती की है। उन्होंने कहा कि नेताजी से मिल लीजिए, वह मामले को हल करा देंगे।

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