सनातन धर्म में माथे पर तिलक लगाने की परंपरा बहुत ही प्राचीन है। सदियों से लोग एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में तिलक लगाते चले आ रहे है। माथे पर तिलक लगाने का प्रतीक है कि व्यक्ति हिंदू धर्म को मानने वाला है। धर्म शास्त्रों के अनुसार अलग अलग देवी देवताओं के प्रति समर्पित लोग अलग अलग रंग के तिलक माथे पर लगाते है।
Shakun Shastra: सनातन धर्म में माथे पर तिलक लगाने की परंपरा बहुत ही प्राचीन है। सदियों से लोग एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में तिलक लगाते चले आ रहे है। माथे पर तिलक लगाने का प्रतीक है कि व्यक्ति हिंदू धर्म को मानने वाला है। धर्म शास्त्रों के अनुसार अलग अलग देवी देवताओं के प्रति समर्पित लोग अलग अलग रंग के तिलक माथे पर लगाते है। सफेद , लाल, केसरिया ,पीला , काला रंग माथे पर तिलक लगाने के लिए प्रयोग किया जाता है। माथे पर तिलक की छाप अलग अलग प्रकार की हो सकती है। तिलक की आकृति से भक्त के देवता और और उनके संप्रदाय के बारे में भी जानकारी होती है। तिलक गोल,चपटा ,लंबा और पूरे माथे पर लगाया जाता है। विभिन्न सुगंधित द्रव्यों का प्रयोग तिलक लगाने के लिए किया जाता है। तिलक लगाने के वैज्ञानिक कारण भी प्रकाश में आए है।
शीतलता प्रदान करने वाले चंदन के तिलक का सनातन परंपरा में अत्यंत महत्व है। सौर मंडल के नव ग्रहों से सकारात्मक परिणाम पाने के लिए लोग ग्रहों के रंग के अनुसार तिलक लगाते है। बृहस्पति की कृपा पाने के लिए पीला चंदन या हल्दी का तिलक लगाएं। पूजा में हवन के बाद हवन की भस्म का तिलक लगाने का प्रावधान है। माथे पर भस्म का तिलक लगाने से ब्रह्मरंध्र और आज्ञा चक्र जागृत होता है। हर शुभ कार्य से पहले तिलक लगाया जाता था।
चन्दन को तिलक लगाने का मंत्र
चंदनस्य महतपुण्यं पवित्रं पाप नाशनम |
आपदं हरति नित्यं लक्ष्मी तिष्ठति सर्वदा ।।
कान्ति लक्ष्मीं धृति सौख्यं सौभाग्यमतुलं बलम् ।
ददातु चन्दनं नित्यं सततं धारयाम्यहम् ।।