प्रदोष व्रत भगवान शिव और उनकी पत्नी, देवी पार्वती को समर्पित है। युगों युगों से शिव की आराधना की जा रही है। भगवान शिव के साथ देवी पार्वती की पूजा का विशेष महत्व है।
Soma Pradosh 2022 : प्रदोष व्रत भगवान शिव और उनकी पत्नी, देवी पार्वती को समर्पित है। युगों युगों से शिव की आराधना की जा रही है। भगवान शिव के साथ देवी पार्वती की पूजा का विशेष महत्व है। शिव भक्त महीने में दो बार पड़ने वाले प्रदोष व्रत और उपवास रखते है और भगवान शिव की पूजा अर्चना करते है। भक्त इस व्रत को शाश्वत आनंद, आध्यात्मिक उत्थान और अच्छे स्वास्थ्य के लिए करते हैं। प्रदोष काल का समय आमतौर पर “संध्याकाल” में होता है जो कि शाम के समय होता है।हिंदू पंचांग के अनुसार त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत मनाया जाता है।
प्रदोष व्रत के प्रकार
सोमवार को दिन पड़ने पर इसे सोम प्रदोष या चंद्र प्रदोष कहा जाता है।
मंगलवार के दिन इसे भौम प्रदोष कहा जाता है। जब दिन शनिवार को पड़ता है, तो इसे शनि प्रदोष के रूप में जाना जाता है।
शुभ संयोग
इस बार माघ माह के शुक्ल पक्ष में आ रहा प्रदोष व्रत विशेष है। क्योंकि इस दिन अनेक प्रकार के शुभ संयोगों का योग हो रहा है। इस बार 14 फरवरी 2022 को पड़ने वाले प्रदोष के दिन सोमवार है। सोमवार भगवान शिव का दिन होता है इसलिए इस दिन सोम प्रदोष का शुभ संयोग बना है।
भगवान शिव पर जल, दूध, भांग, शहद, केसर, दही, चंदन जैसी चीजें अर्पित की जाती हैं। भोलेनाथ की पूजा में शिवलिंग अभिषेक और उन पर अर्पित करने वाली इन चीजों का अपना अलग महत्व है।