World Autism Awareness Day: ऑटिज्म को ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसॉर्डर भी कहते है। ऑटिज्म से पीड़ित लोग बातचीत करने, पढ़ने लिखने में और समाज में मेलजोल बनाने में परेशानियां होती है। ऑटिज्म एक ऐसी स्थिती है जिससे पीड़ित व्यक्ति का दिमाग अन्य लोगो के दिमाग की तुलना में अलग तरह से काम करता है। ऑटिज्म पीड़ित लोगो के लक्षण भी एक दूसरे से अलग होते है।
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ऑटिज्म (Autism) के लक्षण आमतौर पर एक साल से 18 महीनों की उम्र तक के बच्चों में दिखते है। जो सामान्य से लेकर गंभीर हो सकते है। ये समस्याएं पूरे जीवनकाल तक रह सकती है।
ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों में दिखाई देते हैं ये लक्षण
ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे आंख मिलाकर बात करने से कतराते है।
नौ महीने की उम्र तक नाम पर रिएक्शन नहीं देते है।
नौ महीने की उम्र तक किसी भी फिलिंग के भाव चेहरे पर नहीं दिखते।
12 महीने की उम्र तक बहुत कम या बिल्कुल भी इशारे न करना।
ऐसे बच्चों को देखकर मुस्कुराने पर प्रतिक्रिया नहीं देते।
हाथों को फड़फड़ाना, उंगलियों और शरीर को हिलाना जैसी हरकतें बार बार दोहराना
दूसरे बच्चों के मुकाबले बहुत कम बात करते है।
एक ही वाक्य को बार बार दोहराते है।
ऑटिज्म Autism) का इलाज
ऑटिज्म का क्या इलाज है। सबसे पहले आपको यह समझना पड़ेगा कि ऑटिज्म का कोई स्पष्ट या निश्चित इलाज नहीं है। इस स्थिति के लक्षणों को ठीक करने के लिए जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना बहुत अनिवार्य है।
प्रारंभिक चिकित्सा: सामान्यतः छोटी उम्र में ही इस रोग के लक्षण दिखने लग जाते हैं। 2 साल की उम्र में सबसे पहले चिकित्सा हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है। इस समय पर इलाज का लाभ यह होगा कि बच्चे का विकास बेहतर होगा और भविष्य में अच्छे परिणाम मिलेंगे।
बिहेवियर थेरेपी: इस थेरेपी की मदद से संचार, व्यवहार कौशल और बोलचाल की मदद से रोगी के व्यवहार में बदलाव आ जाता है।
लैंग्वेज और स्पीच थेरेपी: इस थेरेपी का उपयोग तब होता है जब बच्चे या पेशेंट को कुछ भी बोलने में दिक्कत होती है।
ऑक्यूपेशनल थेरेपी: ऑक्यूपेशनल थेरेपी (ओटी) की मदद से आवश्यक या बुनियादी कौशल सिखाए जाते हैं। लिखने की कला, मोटर स्किल और खुद की देखभाल करने का कौशल।
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ऑटिज्म Autism) से बचाव के लिए क्या करें
धूम्रपान, शराब और नशीली दवाओं से दूरी बनाएं।
अच्छा खाएं और स्वस्थ खाएं
कुछ टीके जैसे एमएमआर की मदद से ऑटिज्म से संबंधित समस्याओं से बचने के लिए प्रेग्नेंट महिलाओं को यह टीका लगवाना चाहिए था।
मौजूदा स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज कराएं।
हवा में मौजूद रसायनों से दूर रहें।
धूम्रपान करने वाले लोगों से उचित दूरी बनाएं।
सफाई करते समय सावधानी बरतें और यदि घर में कोई प्रेग्नेंट है तो अधिक सावधान रहें।
घर में आरामदायक माहौल बनाएं।