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पिछड़े, दलित, शोषित और वंचित समाज के बच्चों को शिक्षा से दूर करना चाहती है योगी सरकार : दिनेश सिंह पटेल

योगी  सरकार, प्राथमिक विद्यालय इसलिए बनाती है ताकि उसमें बच्चों को अच्छे से शिक्षा दी जा सके, उनके भविष्य को संवारा जा सके, लेकिन योगी सरकार में बच्चों के यही प्राथमिक विद्यालय अब जंगल में तब्दील हो गए हैं।

By संतोष सिंह 
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लखनऊ। योगी  सरकार, प्राथमिक विद्यालय इसलिए बनाती है ताकि उसमें बच्चों को अच्छे से शिक्षा दी जा सके, उनके भविष्य को संवारा जा सके, लेकिन योगी सरकार में बच्चों के यही प्राथमिक विद्यालय अब जंगल में तब्दील हो गए हैं। अपनी यह बात आप निवर्तमान प्रदेश महासचिव दिनेश सिंह पटेल ने रविवार को प्रदेश की राजधानी लखनऊ के सरोजनी नगर विधानसभा क्षेत्र स्थित बेहसा गांव में अब पूरी तरह जंगल में बदल चुके एक प्राथमिक विद्यालय को दिखाते हुए कही।

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दिनेश सिंह पटेल (Dinesh Singh Patel) ने कहा कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार (Yogi Government) में वर्ल्ड क्लास कहे जाने वाले सरकारी स्कूलों की हालत यह है की प्राथमिक विद्यालय में बच्चों के सर से छत ही गायब है, उन्होंने बेहसा गांव के प्राथमिक विद्यालय की हकीकत को सामने लाते हुए कहा कि पेड़ पौधों और झाड़ियों को दीवार की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है, स्कूल का शौचालय जानवरों के बैठने लायक भी नहीं रह गया है।

निवर्तमान प्रदेश महासचिव दिनेश सिंह पटेल (Outgoing State General Secretary Dinesh Singh Patel) ने कहा की स्थानीय लोगों की माने तो लगभग 2 साल पहले यहां स्थित विद्यालय की इमारत को जर्जर मानते हुए सरकार द्वारा गिरा दिया गया। लेकिन भाजपा की योगी आदित्यनाथ सरकार की लापरवाही के चलते 2 साल में इस विद्यालय को दोबारा बनाने के बारे में सोचा तक नहीं गया। उन्होंने कहा इसके पीछे कारण साफ है कि भाजपा सरकार की यह मंशा ही नहीं है कि पिछड़े, दलित, शोषित और वंचित समाज के बच्चे शिक्षा प्राप्त कर सके।

उन्होंने कहा कि सरकार ने अपनी इसी मंशा को पूरा करने के लिए यह शासनादेश जारी कर दिया की 50 बच्चों से कम संख्या वाले स्कूलों को बंद कर दिया जाए। अपनी बात को जारी रखते हुए दिनेश सिंह पटेल ने कहा कि अभी हाल ही में लखनऊ के प्राथमिक विद्यालय का विलय 2 से 3 किलोमीटर दूर स्थित दूसरे विद्यालय में कर दिया गया और लंबी दूरी के चलते स्कूल जाते समय दुर्घटना में एक बच्चे का हाथ टूट गया। लेकिन योगी आदित्यनाथ की सरकार के कान में जूं तक नहीं रेंग रही है।

दिनेश सिंह पटेल ने कहा कि RTE और आर्टिकल 21A के अनुसार देश के 6 से 14 साल के हर एक बच्चे को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा पाने का अधिकार है, फिर वह बच्चा चाहे गरीब, शोषित, वंचित या पिछड़े वर्ग से आता हो। साथ ही बच्चे को अपने घर से 1 किलोमीटर के दायरे में शिक्षा उपलब्ध कराई जाए। लेकिन सरकार संविधान की धज्जियां उड़ाते हुए सरकारी स्कूलों का विलय करने पर उतारू है।

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दिनेश सिंह पटेल ने कहा कि उत्तर प्रदेश की सरकार जहां एक तरफ बच्चों को शिक्षा से वंचित कर रही है, वहीं उनकी स्कूल से दूरी के चलते बच्चों की सुरक्षा पर भी एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा कि हकीकत यह है कि भाजपा नेताओं के बच्चे अमेरिका और लंदन में पढ़ाई कर रहे हैं, जबकि वहीं बीजेपी की सरकार उत्तर प्रदेश के गरीब, पिछड़े, वंचित और दलित समाज के बच्चों को ऐसे जंगल में तब्दील हो चुके प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने का ही हकदार समझती है।

दिनेश सिंह पटेल ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने बच्चों को शिक्षा से दूर रखने के लिए जो विद्यालयों के मर्जर की योजना लाई है, आम आदमी पार्टी उसका खुला विरोध करती है और योगी आदित्यनाथ की सरकार से यह मांग करती है कि उत्तर प्रदेश सरकार इस मर्जर नीति के फैसले को तत्काल प्रभाव से वापस ले।

हर गांव में संविधान व RTE Act के अनुसार 1 किलोमीटर के दायरे में स्थानीय स्कूल की गारंटी दी जाए। शिक्षा में निजीकरण और केंद्रीकरण के बजाय जन-भागीदारी और विकेंद्रीकरण को बढ़ावा दिया जाए।

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