जीवन में समय बहुत मूल्यवान है। परंपरा के अनुसार किसी नये काम की शुरूआत कारने के लिए ग्रह दशओं का शुभ होना बहुत ही आवश्यक है। जब ग्रह दशा शुभ हो तब आवश्कता होती शुभ मुहूर्त की।
लखनऊ: जीवन में समय बहुत मूल्यवान है। परंपरा के अनुसार किसी नये काम की शुरूआत कारने के लिए ग्रह दशओं का शुभ होना बहुत ही आवश्यक है। जब ग्रह दशा शुभ हो तब आवश्कता होती शुभ मुहूर्त की। हिंदू पंचाग के अनुसार विलक्षण संयोग जब बन रहा हो उस समय किसी कार्य की शुरूआत कि जाय तो कार्य में अप्रत्याशित सफलता मिती है।
इस वर्ष 11 जुलाई को रवि पुष्य नक्षत्र का बहुत ही शुभ संयोग बन रहा है। रवि पुष्य योग का निर्माण तब होता है जब रविवार के दिन पुष्य नक्षत्र होता है। यह योग शुभ मुहूर्त का निर्माण करता है जिसमें सभी प्रकार के शुभ कार्य किए जा सकते हैं। इस योग को मुहूर्त में गुरु पुष्य योग के समान ही महत्व दिया गया है। इसी नक्षत्र में भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था।
इस बार 11 जुलाई को रवि पुष्य का संयोग और सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है।शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि है और इसी तिथि से आषाढ़ मास का शुक्ल पक्ष आरंभ भी हो रहा है। इसी दिन से आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का प्रारंभ भी हो रहा है। गुप्त नवरात्रि इस बार आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा 11 जुलाई से शुरू होकर आषाढ़ शुक्ल नवमी, रविवार, 18 जुलाई 2021 तक यह पर्व मनाया जाएगा।
रवि पुष्य नक्षत्र के दिन आभूषण, फर्नीचर, कपड़ा, ऑटोमोबाइल्स, जमीन, मकान, भूमि क्रय विक्रय और इलेक्ट्रॉनिक चीजों की खरीदारी करना बहुत ही शुभ माना गया है। इस नक्षत्र में मंत्र जाप, दीक्षा, उच्च शिक्षा, आध्यात्मिक ज्ञान, अनुष्ठान और यात्रा आरंभ करने के लिए यह दिन सर्वश्रेष्ठ होता है।