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Afghanistan: अफगान जेलों से रिहा हुए ‘आतंकी’ तो पाक को सताया ड़र, पाकिस्तान में मची खलबली

अफगानिस्तान पर नियंत्रण करने बाद तालिबान ने अफगान की जेलों में कई सालों से बदं तालिबानी लड़ाकों और आतंकियों को रिहा किया गया है।कैदियों के छूटने के बाद पाकिस्तान (Pakistan) में खलबली मच गई है। खबरों के अनुसार ,सोमवार को काबुल में तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद (Zabihullah Mujahid) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस किया।

By अनूप कुमार 
Updated Date

नई दिल्ली: अफगानिस्तान (Afghanistan)  पर नियंत्रण करने बाद तालिबान ( Taliban) ने अफगान की जेलों में कई सालों से बदं तालिबानी लड़ाकों और आतंकियों को रिहा किया गया है।कैदियों के छूटने के बाद पाकिस्तान (Pakistan) में खलबली मच गई है। खबरों के अनुसार ,सोमवार को काबुल में तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद (Zabihullah Mujahid) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस किया। इस दौरान मुजाहिद ने कहा कि हाल ही में काबुल दौरे पर आए पाकिस्तानी सुरक्षा प्रतिनिधिमंडल ने जेलों से रिहा हुए कैदियों को लेकर चिंता व्यक्त की है। उन्हें डर है कि ये आतंकवादी पाकिस्तान में प्रवेश कर सकते हैं और उनके लिए खतरा पैदा कर सकते हैं।

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अफगान शरणार्थियों का संकट खड़ा हुआ
गौरतलब है कि शनिवार को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद (Lt Gen Faiz Hameed) काबुल (Kabul) पहुंचे। ISI चीफ के नेतृत्व में एक पाकिस्तानी सुरक्षा प्रतिनिधिमंडल भी काबुल पहुंचा। खबरों के अनुसार, इस दौरे पर ISI चीफ ने सुरक्षा को लेकर चर्चा की। पाकिस्तान और उसकी कुख्यात खुफिया एजेंसी पर अफगानिस्तान पर कब्जा करने में तालिबान की मदद करने का आरोप लगते आ रहे हैं। हालांकि, पाकिस्तान ने इन आरोपों से इनकार किया है और कहा है कि तालिबान के कब्जे के बाद से उसके यहां अफगान शरणार्थियों का संकट खड़ा हुआ है।

हक्कानी नेटवर्क के जरिए तालिबान सरकार में पाकिस्तान अपनी बढ़त चाहता है
खबरों के अनुसार, अब ISI चीफ के काबुल पहुंचने को लेकर कुछ और ही जानकारी सामने आई है। दरअसल, जिस दिन ISI चीफ काबुल दौरे पर पहुंचे, उस दिन तालिबान ने कहा कि वह अफगानिस्तान में सरकार गठन को अगले हफ्ते के लिए टाल रहा है। इसके बाद अफगान राजनेता मरियम सोलेमानखिल ने कहा, ‘मैं जो सुन रहा हूं, उसके मुताबिक ISI के डीजी काबुल में आए हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बरादर इस सरकार का नेतृत्व नहीं करे और हक्कानी को इसकी कमान सौंपी जाए।’ ऐसे में माना गया कि पाकिस्तान हक्कानी नेटवर्क के जरिए तालिबान सरकार में अपनी बढ़त चाहता है।

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