aaउत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अवैध कब्जे को लेकर लगातार निर्देश दे रहे हैं लेकिन ये निर्देश आगरा में बैठे अफसरों को गले नहीं उतर रहा। यहां पर किसान की जमीन को जबरन कब्जा कर लिया जाता है और उसे बिल्डर को बेच भी दिया जाता है। किसान अपनी अर्जी लगाने के लिए दर दर की ठोकरे खाने को मजबूर है लेकिन उसकी कहीं कोई सुनने वाला नहीं है।
Agra News: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अवैध कब्जे को लेकर लगातार निर्देश दे रहे हैं लेकिन ये निर्देश आगरा में बैठे अफसरों को गले नहीं उतर रहा। यहां पर किसान की जमीन को जबरन कब्जा कर लिया जाता है और उसे बिल्डर को बेच भी दिया जाता है। किसान अपनी अर्जी लगाने के लिए दर दर की ठोकरे खाने को मजबूर है लेकिन उसकी कहीं कोई सुनने वाला नहीं है। दरअसल, आगरा विकास प्राधिकरण के अफसरों और बिल्डर के मिलीभगत ने एक किसान को सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया। कहीं सुनवाई नहीं होने से निराश किसान ने राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यू की मांग कर दी है।
ये मामला आगरा के सिकंदरा के दहतोरा का है, जहां एक बिल्डर ने आगरा विकास प्राधिकरण के अफसरों के साथ मिलकर किसान मुकेश कुमार की जमीन पर कब्जा कर लिया। पीड़ित ने आगरा मंडलायुक्त से अपनी अर्जी लगाई तो वहां भी निराशा हाथ लगी। हालांकि, मण्डलायुक्त की तरफ आगरा विकास प्राधिकरण द्वारा किए गए विनियम के संबंध में प्रश्न पूछा गया है। इसमें पूछा गया कि, क्या अर्जनमुक्त होने के उपरान्त अगरा विकास प्राधिकरण विनिमय हेतु अधिक्रत था या नहीं? इस संबंध में प्राधिकरण से रिपोर्ट मांगी गई है।
ऐसे में सवाल उठता है कि, अगर आगरा विकास प्राधिकरण विनिमय हेतु अधिक्रत नहीं था तो बिल्डर उस जमीन पर कैसे कब्जा कर लिया और निर्माण शुरू कर दिया। यही सब सवाल किसान मुकेश कुमार की तरफ से भी पूछे जा रहे हैं लेकिन इसका जवाब देने वाला कोई नहीं है। वहीं, इस मामले में अपने रसूख का इस्तेमाल कर फर्जीवाड़ा करने वाले सुबोध सागर, प्रभात माहेश्वरी, गुड्डू गौतम और आगरा विकास प्राधिकरण के अफसर बचते आ रहे हैं।
आगरा के दहतोरा निवासी मुकेश कुमार ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर बताया कि, उनकी करीब साढ़े तेरह बीघा जमीन है, जिससे उनके परिवार का भारण पोषण चलता है। इसी जमीन पर उनके पूर्वजों की समाधि और देवस्थान भी बना हुआ था। उनका कहना है कि, 1989 में उनके पूर्वजों की जमीन को शास्त्रीपुरम योजना के तहत अधिग्रहण किया गया था, जिसकी आपत्ति उनके पूर्वजों ने उच्च न्यायालय में लगा दी थी और स्थगन आदेश ले आए।
पीड़ित मुकेश कुमार का कहना है कि, तभी आगरा निवासी बिल्डर सुबोध सागर ने उसकी मदद करने की बात कहकर नजदीकी बढ़ा ली। सुबोध ने हमारी जमीन को आगरा विकास प्राधिकरण से मुक्त कराने की बात कर धोखाधड़ी की और पांच बीघा जमीन का सौदा एस०जी०पी०के०ए० इन्फ्राटेक के डायरेक्टर गुड्डू गौतम और प्रभात माहेश्वरी से कर दिया। इसके बाद सुबोध ने प्रभात महेश्वरी और गुड्डू गौतम के साथ मिलकर पूरी जमीन पर कब्जा कर लिया।
उन्होंने आगे कहा, मार्च 2014 में जब आगरा प्लानर एवं एस०जी०पी०के०ए० इन्फ्राटेक प्रा०लि० के कर्मचारी हमारी विक्रय की गयी जमीन से अधिक जमीन पर कब्जा करने लगे तो हमने इसका विरोध किया। इस पर कम्पनी के निदेशकों ने कहा कि अब यह सारी जमीन हमारी है। हमने आपकी शेष, जमीन आगरा विकास प्राधिकरण एवं सुबोध कुमार से खरीदी है।
पीड़ित का आरोप है की इसी बीच सुबोध सागर के बहनोई आगरा विकास प्राधिकरण में सचिव बनकर आ थे। उनका फायदा उठाकर बिल्डर प्रभात माहेश्वरी, कंपनी के डायरेक्टर गुड्डू गौतम सहित सुबोध सागर ने बेशकीमती जमीन को अपने नाम करवा लिया जबकि पीड़ित जमीन शासन द्वारा मुक्त कर दी गई थी। पीड़ित का कहना है, मामले में एसआईटी गठित कर पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराकर आरोपियों पर कार्रवाई की जाए। साथ ही अवैध कब्जे व निर्माण कार्य को बन्द कराया जाए।
इसके साथ ही ये मामला उत्तर प्रदेश के विधान परिषद की संसदीय एवं सामाजिक सद्भाव समिति के पास भी पहुंची, जहां समिति ने एक कमेटी बनाकर जांच के निर्देश दिए थे। साथ ही इसकी रिपोर्ट समिति को देने की बात कही थी।