अखिलेश यादव ने आगे कहा, हमारे सांसद जिया उर रहमान संभल में थे ही नहीं और इसके बावजूद उनके खिलाफ FIR दर्ज कर दी गई। यह सरकार द्वारा किया गया दंगा है। कोर्ट द्वारा आदेश पारित किए जाने के तुरंत बाद ही पुलिस और प्रशासन सर्वे के लिए जामा मस्जिद पहुंच गई। 23 नवंबर को पुलिस प्रशासन ने कहा कि अगले दिन 24 तारीख को दोबारा सर्वे किया जाएगा।
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के संभल में हुई हिंसा को लेकर अब सियासत शुरू हो गयी है। इस घटना को लेकर विपक्षी दलों ने भाजपा सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने संभल हिंसा पर सवाल उठाते हुए भाजपा सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि, मुझे याद है जब मैं लखनऊ में प्रेस कॉफ्रेंस कर रहा था, उस समय जानकारी थी और जो जानकारी छिपाई जा रही थी। लोकल स्तर से जानकारी हासिल हुई तब मैंने कहा, नईम की जान गई और पुलिस की गोली से गई है। आप सभी के पास वीडियो हैं, पूरा का पूरा कराया गया दंगा है, जो सरकार ने कराया है। चुनाव में इनकी धांधली और इनकी चोरी ना पकड़ी जाए इसलिए जानबूझकर के संभल में घटना कराई गई है।
अखिलेश यादव ने आगे कहा, हमारे सांसद जिया उर रहमान संभल में थे ही नहीं और इसके बावजूद उनके खिलाफ FIR दर्ज कर दी गई। यह सरकार द्वारा किया गया दंगा है। कोर्ट द्वारा आदेश पारित किए जाने के तुरंत बाद ही पुलिस और प्रशासन सर्वे के लिए जामा मस्जिद पहुंच गई। 23 नवंबर को पुलिस प्रशासन ने कहा कि अगले दिन 24 तारीख को दोबारा सर्वे किया जाएगा।
"चुनाव में इनकी धांधली और इनकी चोरी ना पकड़ी जाए इसलिए जानबूझकर के संभल में घटना कराई गई है।"
– माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव जी pic.twitter.com/A1FkjiEvd7
— Samajwadi Party (@samajwadiparty) November 25, 2024
पढ़ें :- संभल में अचानक उठे विवाद को लेकर राज्य सरकार का रवैया बेहद दुर्भाग्यपूर्ण, प्रशासन ने जरूरी प्रक्रिया का नहीं किया पालन : प्रियंका गांधी
पुलिस प्रशासन को यह आदेश किसने दिया? जब लोगों ने सर्वे का कारण जानना चाहा तो सर्किल ऑफिसर ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया। इसका विरोध करते हुए लोगों ने पथराव शुरू कर दिया। बदले में पुलिस कांस्टेबल से लेकर अधिकारी तक सभी ने अपने सरकारी और निजी हथियारों से गोलियां चलाईं, जिसकी वीडियो रिकॉर्डिंग है।
इससे कई लोग घायल हो गए। 5 निर्दोष लोगों की मौत हो गई। संभल का माहौल खराब करने के लिए पुलिस और प्रशासन के लोगों के साथ-साथ याचिका दायर करने वाले लोग भी जिम्मेदार हैं। उन्हें निलंबित किया जाना चाहिए और उनके खिलाफ हत्या का मुकदमा चलाया जाना चाहिए ताकि लोगों को न्याय मिल सके और भविष्य में कोई भी संविधान के खिलाफ ऐसी गैरकानूनी घटना न कर सके।