भारत और चीनी सैनिकों के बीच तवांग में हुए झड़प के बाद सियासी सरगर्मी भी बढ़ गई है। 9 दिसंबर को तवांग में भारत और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह का कहना है कि भारतीय जवानों ने चीनी सैनिकों को बहादुरी के साथ खदेड़ दिया। वहीं, अब विपक्ष ने केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ इसको लेकर मोर्चा खोल दिा है। कांग्रेस और एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस मामले में तीखी प्रतिक्रिया दी है।
नई दिल्ली। भारत और चीनी सैनिकों के बीच तवांग में हुए झड़प के बाद सियासी सरगर्मी भी बढ़ गई है। 9 दिसंबर को तवांग में भारत और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह का कहना है कि भारतीय जवानों ने चीनी सैनिकों को बहादुरी के साथ खदेड़ दिया। वहीं, अब विपक्ष ने केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ इसको लेकर मोर्चा खोल दिा है। कांग्रेस और एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस मामले में तीखी प्रतिक्रिया दी है।
थरूर बोले हमें सावधान रहना होगा
कांग्रेसा नेता शशि थरूर चीनी सैनिकों की इस हरकत को लेकर अलर्ट किया है। उन्होंने कहा कि, इस बात में कोई शक नहीं है कि तवांग पर चीन की नजरें हैं और हमें बहुत सावधान रहने की जरूरत है। इस विषय पर हर पार्टी, हर व्यक्ति हमारी सेना के साथ है। कल जो भी हुआ वो हमारी तरफ से एक संदेश है कि हम हमारे प्रादेशिक अखंडता और संप्रभुता के लिए हमारे बीच एकता है।
मल्लिकार्जुन खरगे ने भी घेरा
कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी ट्वीट करके इस पर नाराजगी जताई। उन्होंने लिखा ‘फिर से हमारे भारतीय सेना के जवानों को चीनियों ने भड़काया है। हमारे जवानों ने डटकर मुकाबला किया और उनमें से कुछ घायल भी हुए हैं। हम राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर देश के साथ हैं और इसका राजनीतिकरण नहीं करना चाहेंगे। इसके साथ ही उन्होंने आगे लिखा, ‘लेकिन मोदी सरकार अप्रैल 2020 से एलएसी के पास सभी बिंदुओं पर चीनी अतिक्रमण और निर्माण के बारे में ईमानदार होनी चाहिए। सरकार को संसद में इस मुद्दे पर चर्चा करके देश को भरोसे में लेने की जरूरत है। हम अपने सैनिकों के शौर्य और बलिदान के सदैव ऋणी रहेंगे।’
ओवैसी ने भी घेरा
एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस घटना को लेकर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि, अरुणाचल प्रदेश से आ रही खबरें चिंताजनक हैं। भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच एक बड़ी झड़प हुई और सरकार ने देश को कई दिनों तक अंधेरे में रखा। जब संसद का सत्र चल रहा था तब इस बारे में क्यों नहीं बताया गया? घटना का ब्योरा अधूरा है।