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Sputnik V वैक्सीन की एक डोज की कीमतों का ऐलान, जानें कितना करना होगा भुगतान?

रूस की कोरोना वैक्सीन स्पूतनिक वी की कीमत का खुलासा हो गया है। भारत में इसकी मार्केटिंग करने वाली कंपनी डॉ. रेड्डी के मुताबिक, स्पूतनिक वी की एक डोज करीब एक हजार रुपये में मिलेगी। यानी, अगर आप प्राइवेट में स्पूतनिक वैक्सीन लगवाते हैं तो आपको दो डोज के लिए करीब दो हजार रुपये (एडमिनिस्‍ट्रेशन चार्ज अलग से) खर्च करने होंगे।

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। रूस की कोरोना वैक्सीन स्पूतनिक वी की कीमत का खुलासा हो गया है। भारत में इसकी मार्केटिंग करने वाली कंपनी डॉ. रेड्डी के मुताबिक, स्पूतनिक वी की एक डोज करीब एक हजार रुपये में मिलेगी। यानी, अगर आप प्राइवेट में स्पूतनिक वैक्सीन लगवाते हैं तो आपको दो डोज के लिए करीब दो हजार रुपये (एडमिनिस्‍ट्रेशन चार्ज अलग से) खर्च करने होंगे।

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डॉ. रेड्डी ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर कहा कि स्पूतनिक वी की प्रति डोज की कीमत 948 रुपये होगी और उसपर अलग से 5 फीसदी जीएसटी देना होगा। 948 रुपये का 5 फीसदी जीएसटी 47.40 रुपये होता है। इस तरह दोनों को मिलाकर एक डोज स्पूतनिक वी की कुल कीमत 995.40 रुपये होगी।

हालांकि, डॉ. रेड्डी का कहना है कि जब वो खुद अपनी फैक्ट्रियों में यह वैक्सीन बनाने लगेगा तो कीमत घट सकती है। ध्यान रहे कि अभी इस वैक्सीन का उत्पादन रूस में ही हो रहा है और वहीं से 1 मई को वैक्सीन की पहली खेप भारत पहुंची है।

‘स्‍पूतनिक वी’ वैक्‍सीन बनाने वालों के अनुसार, उनकी वैक्‍सीन की एफेकसी 91.6 प्रतिशत है। ‘द लैंसेट’ में छपे डेटा के अनुसार, यह वैक्‍सीन कोविड-19 के गंभीर इन्‍फेक्‍शन से पूरी सुरक्षा देती है। रूस में हुए ट्रायल के अलावा, भारत में डॉ रेड्डीज ने भी फेज 2 और 3 के ट्रायल किए हैं।

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RDIF के अनुसार, उनकी वैक्‍सीन से कोई एलर्जी नहीं होती।एक डोज की कीमत 10 डॉलर से भी कम है।इस वैक्‍सीन की दो डोज में दो अलग-अलग तरह के वेक्‍टर्स का इस्‍तेमाल किया जाता है जो ऐसी ही तकनीक वाले टीकों के मुकाबले ज्‍यादा लंबे समय तक इम्‍युनिटी प्रदान करती हैं। यह वैक्‍सीन 18 साल से ज्‍यादा उम्र के लोगों के लिए है और इंजेक्शन के जरिए लगाई जाती है।एक डोज 0.5 ml की होती है और उनके बीच 21 दिनों का अंतर रखा जाता है।

‘स्‍पूतनिक वी’ भारत में कोरोना वायरस के खिलाफ इस्‍तेमाल की जाने वाली तीसरी वैक्‍सीन होगी। जनवरी में, ड्रग्‍स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने दो टीकों- भारत बायोटेक की Covaxin और ऑक्‍सफोर्ड-एस्ट्राजेनिका की Covishield जिसे पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) बना रही है, को आपातकालीन इस्‍तेमाल की मंजूरी दी थी।

भारत में मध्‍य जनवरी से कोविड टीकाकरण अभियान की शुरुआत की थी। हालांकि 18 साल से ज्‍यादा उम्र के लोगों के लिए वैक्‍सीनेशन खोलने के बाद वैक्‍सीन की शॉर्टेज की खबरें हैं। कुछ राज्‍यों में वैक्‍सीनेशन पर खासा असर पड़ा है। ऐसे में एक और वैक्‍सीन उपलब्‍ध होने से थोड़ी राहत मिलने की उम्‍मीद है।

रूस में बनी इस वैक्‍सीन को भारत से पहले 59 देश अप्रूवल दे चुके थे। इनमें अर्जेंटीना, बोलिविया, हंगरी, यूएई, ईरान, मेक्सिको, पाकिस्‍तान, बहरीन, श्रीलंका व अन्‍य शामिल हैं। एक तरह से देखें तो दुनिया की करीब 40 फीसदी आबादी की इस वैक्‍सीन तक पहुंच है। भारत इनमें सबसे ज्‍यादा आबादी वाला देश है।

‘द लैंसेट’ में एक्‍सपर्ट्स ने इस वैक्‍सीन के पूरा डेटा जारी न करने पर सवाल उठाए हैं। जर्नल में छपी चिट्ठी में वैज्ञानिकों ने लिखा है कि ‘रिसर्च की गरिमा के लिए डेटा शेयरिंग बेहद अहम है, इसमें केाई शर्ते नहीं होनी चाहिए।’ वे इस बात से भी नाराज हैं कि ट्रायल के पूरे प्रोटोकॉल और अंतरिम एनालिसिस में बदलाव की वजहों को सार्वजनिक नहीं किया गया। वैज्ञानिकों ने वैक्‍सीन के नतीजों में कुछ गड़‍बड़‍ियों को भी रेखांकित किया है।

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वैक्‍सीन बनाने वालों ने दिया जवाब ,फेज 3 ट्रायल की रिपोर्टिंग और एनालिसिस में कुछ भी छिपाया नहीं गया

‘द लैंसेट’ के इसी अंक में ‘स्‍पूतनिक वी’ बनाने वाले वैज्ञानिकों ने कहा है कि फेज 3 ट्रायल की रिपोर्टिंग और एनालिसिस में कुछ भी छिपाया नहीं गया। वैज्ञानिकों ने 51 देशों में रजिरूट्रेशन का हवाला दिया और कहा कि इससे उनकी पारदर्शिता का पता चलता है। उन्‍होंने नतीजों में गड़बड़‍ियों को टाइपिंग की गलतियां बताया और कहा कि उन्‍हें सुधार लिया गया है।

भारत में हर साल इस वैक्‍सीन की 85 करोड़ डोज बनाई जाएंगी। RDIF ने ग्‍लैंड फार्मा, हेटेरो बायोफार्मा, पनाका बायोटेक, स्‍टेलिस बायोफार्मा समेत कई भारतीय कंपनियों से इसके निर्माण का सौदा किया है। हैदराबाद स्थित डॉ रेड्डीज लैब्‍स इस वैक्‍सीन की छोटी-छोटी खेप आयात कर सरकार को सप्‍लाई करेगी। जून-जुलाई तक वैक्‍सीन की लोकल सप्‍लाई उपलब्‍ध होने के बाद वैक्‍सीन का स्‍टॉक बढ़ने की संभावना है।

डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज में कस्‍टम फार्मा सविर्सिज के ग्‍लोबल हेड दीपक सापरा को Sputnik V की पहली डोज लगी

भारत में स्‍पूनिक वी की पहली डोज लगा दी गई है। डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज में कस्‍टम फार्मा सविर्सिज के ग्‍लोबल हेड दीपक सापरा को हैदराबाद में वैक्‍सीन की पहली डोज दी गई है। उन्‍हें 21 दिन बाद वैक्‍सीन की दूसरी डोज दी जाएगी।

भारत में उपलब्‍ध तीसरी वैक्‍सीन है स्‍पूतनिक वी

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मेडिकल जर्नल ‘द लैंसेट’ में छपे डेटा के अनुसार, यह वैक्‍सीन कोविड-19 के गंभीर इन्‍फेक्‍शन से पूरी सुरक्षा देती है। ‘स्‍पूतनिक वी’ निर्माताओं के मुताबिक, वैक्‍सीन की एफेकसी 91.6 प्रतिशत है। यह वैक्‍सीन 0.5 ml-0.5 ml की दो डोज में लगाई जाती है। दोनों डोज के बीच 21 दिनों का गैप रखते हैं। भारत में उपलब्‍ध होने वाली यह तीसरी ऐंटी-कोविड वैक्‍सीन होगी। इससे पहले, भारत बायोटेक की Covaxin और ऑक्‍सफोर्ड-एस्ट्राजेनिका की Covishield को इमर्जेंसी यूज अप्रूवल दिया जा चुका है।

नीति आयोग के सदस्‍य (स्‍वास्‍थ्‍य) डॉ वीके पॉल के अनुसार, यह वैक्‍सीन अगले हफ्ते तक बाजार में आ जाएगी। उन्‍होंने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में कहा कि स्‍पूतनिक वी वैक्‍सीन भारत में आ चुकी है। मुझे यह कहते हुए बेहद खुशी हो रही है कि हमें उम्‍मीद है कि यह अगले हफ्ते तक बाजार में उपलब्ध होगी।

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