वन नेशन, वन इलेक्लशन का मामला तब उठा जब इसी साल मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा के चुनाव होने हैं। उधर, केंद्र सरकार ने संसद का विशेष सत्र भी 18-22 सितंबर को बुलाया, जिसके बाद वन नेशन, वन इलेक्लशन को लेकर कमेटी भी बनाई गयी। ऐसे में अब तरह तरह की चर्चाएं शुरू हो गयीं हैं।
One Nation, One Election: वन नेशन, वन इलेक्लशन को लेकर अब देश में चर्चा शुरू हो गयी है। केंद्र सरकार ने शनिवार वन नेशन, वन इलेक्शन कमेटी को लेकर नोटिफिकेशन जारी किया है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में आठ सदस्यीय समिति बनाई गई। इस कमेटी बनने के बाद से कई तरह के कयास लगाए जाने लगे हैं। दरअसल, वन नेशन, वन इलेक्शन का विपक्षी पार्टियां विरोध भी कर रही हैं।
वन नेशन, वन इलेक्लशन का मामला तब उठा जब इसी साल मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा के चुनाव होने हैं। उधर, केंद्र सरकार ने संसद का विशेष सत्र भी 18-22 सितंबर को बुलाया, जिसके बाद वन नेशन, वन इलेक्लशन को लेकर कमेटी भी बनाई गयी। ऐसे में अब तरह तरह की चर्चाएं शुरू हो गयीं हैं। कुछ लोगों का कहना है कि अगर केंद्र सरकार अपने मंसूबों में सफल होती है तो विपक्षी दलों को बड़ा झटका लगेगा और आगमी राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों पर भी संकट के बादल मंडरा सकते हैं।
प्रधानमंत्री कर चुके हैं समर्थन
एक देश-एक चुनाव की वकालत खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर चुके हैं। इस बिल के समर्थन के पीछे सबसे बड़ा तर्क यही दिया जा रहा है कि इससे चुनाव में खर्च होने वाले करोड़ों रुपये बचाए जा सकते हैं। पैसों की बर्बादी से बचना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई मौकों पर वन नेशन-वन इलेक्शन की वकालत कर चुके हैं। इसके पक्ष में कहा जाता है कि एक देश-एक चुनाव बिल लागू होने से देश में हर साल होने वाले चुनावों पर खर्च होने वाली भारी धनराशि बच जाएगी।
इंडिया गठबंधन को लगेगा बड़ा झटका
राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो वन नेशन वन इलेक्शन बिल लागू होने के बाद सबसे बड़ा झटका विपक्षी गठबंधन इंडिया को लगेगा। दरअसल, लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर 26 विपक्षी दलों का इंडिया गठबंधन बना है। ऐसे में अगर वन नेशन-वन इलेक्शन होता है इन्हें सबसे ज्यादा नुकसान होगा और ये गठबंधन टूट भी जाएगा।
वन नेशन, वन इलेक्शन की कमेटी में ये लो शामिल
कमेटी के चेयरमैन पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद हैं। वहीं समिति में सदस्य गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी, पूर्व सीएम गुलाम नबी आजाद, वित्त कमीशन के पूर्व चेयरमैन एनके सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष सी कश्यप, हरीश साल्वे और पूर्व सीवीसी संजय कोठारी हैं। कमेटी का कार्यकाल स्पष्ट नहीं है। समिति को यथाशीघ्र रिपोर्ट देने को कहा गया है।