पहला चरण लिरिक्स यानी की गाने के शब्द और दूसरा सिंगर के द्वारा कम्पलीट सोंग। हम सभी के दिलों मे अक्सर एक सवाल होता है कि आखिर क्या कारण है कि 80 और 90 के दशक के लिरिक्स आज भी लोगों की जुबान में है?
मुंबई: बॉलीवुड से लेकर सोलो सांग्स तक गजल सिंगर पंकज उधास के चाहने वाले कर जगह फैले हुए है। 17 मई 1951 को गुजरात के जीतपुर में जन्में पंकज उधास आज अपना जन्मदिन मना रहे हैं। संजय दत्त की मूवी नाम में गाई गई गजल ‘चिट्ठी आई है’ से लोगों को रुलाने वाली पंकज उधास की आवाज का जादू आज भी बरकरार है।
बता दें कि पंकज के पिता एक कृषक थे तथा उनके घर में उनके अतिरिक्त दो दोनों भाई भी गायक थे। पंकज उधास ने जब अपनी फर्स्ट स्टेज परफॉर्मेंस में देशभक्ति गीत ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ गाया था तो उस वक़्त उन्हें दर्शकों से पूरे 51 रुपये मिले थे। पंकज उधास को उनकी गजल गायकी के लिए जाना जाता है।
‘घूंघट को मत खोल’, ‘चुपके-चुपके रात दिन’, ‘कुछ न कहो कुछ भी न कहो’, ‘और आहिस्ता कीजिए बातें’, ‘चांदी जैसा रंग है तेरा।।।’ जैसी कई गजलें आज भी प्रशंसकों को उनका दीवाना बना देती हैं। वही पंकज को जो लोकप्रियता हासिल हुई है उसमें उनका संघर्ष कहीं छुप गया।
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बहुत कम लोग ये जानते हैं कि पंकज उधास ने पहला अलबम आहट 18000 रुपये उधार लेकर निकलवाया था। इस अलबम ने पंकज उधास को आगे काम दिलवाया तथा वो बॉलीवुड के जबरदस्त गायकों में से एक बने। संजय दत्त की लोकप्रिय फिल्म नाम में पंकज उधास ने ‘चिट्ठी आई है’ नाम का हिट गाना गया। मेरी मम्मी मुझे कहती हैं कि जब वो लोग मूवी देखने गए तो इस गाने के चलते पूरा हॉल रो रहा था।
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तत्पश्चात, कई बार जब ये फिल्म टेलीविज़न पर आई तभी इस गाने को सुनते ही लोगों की आंखों में पानी आ जाता था। बता दें कि एक किस्सा है इस सांग की रिलीज के पहले का है। सीनियर अभिनेता राजेंद्र कुमार तथा राज कपूर बहुत अच्छे दोस्त थे। वहीं इस गाने की एडिटिंग डेविड धवन ने की थी तथा जब यह सांग एडिट करके तैयार हुआ तब एक दिन राजेंद्र कुमार ने राज कपूर को डिनर पर घर बुलाया। खाने के पश्चात् जब राजेंद्र ने ये सांग राज कपूर को सुनाया तो वो रो पड़े। फिल्म जगत में ये किस्सा बहुत लोकप्रिय है।