दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने राजधानी में खराब हवा की क्वालिटी को देखते हुए एयर प्यूरीफायर (Air Purifiers) पर जीएसटी (GST) कम करने की याचिका पर केंद्र सरकार (Central Government)को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने राजधानी में खराब हवा की क्वालिटी को देखते हुए एयर प्यूरीफायर (Air Purifiers) पर जीएसटी (GST) कम करने की याचिका पर केंद्र सरकार (Central Government)को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। जस्टिस विकास महाजन और विनोद कुमार की वेकेशन बेंच ने केंद्र सरकार को याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए 10 दिन का समय दिया और मामले की अगली सुनवाई के लिए 9 जनवरी की तारीख तय की।
इससे पहले बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने राजधानी में खराब होती वायु गुणवत्ता को देखते हुए जीएसटी काउंसिल (GST Council) को निर्देश दिया था कि वह जल्द से जल्द बैठक कर एयर प्यूरीफायर पर लगने वाले जीएसटी को कम या पूरी तरह खत्म करने पर विचार करें। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की बेंच ने एक जनहित याचिका (पीआईएल) की सुनवाई में यह निर्देश दिया।
कोर्ट ने पहले ही दिन सरकार पर नाराजगी जताई थी कि इमरजेंसी स्थिति में जब वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) ‘बहुत खराब’ श्रेणी में है, तब भी एयर प्यूरीफायर पर टैक्स छूट देने के लिए कुछ नहीं किया जा रहा। बेंच ने कहा कि अगर नागरिकों को साफ हवा नहीं दे सकते, तो कम से कम एयर प्यूरीफायर पर जीएसटी कम करें। वर्तमान में एयर प्यूरीफायर पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगता है। याचिका में इसे मेडिकल डिवाइस मानकर जीएसटी को 5 प्रतिशत स्लैब में लाने की मांग की गई है।
वकील कपिल मदान की दाखिल याचिका में कहा कि दिल्ली में गंभीर प्रदूषण की अत्यधिक इमरजेंसी संकट स्थिति में एयर प्यूरीफायर (Air Purifiers) को लग्जरी आइटम नहीं माना जा सकता। साफ इनडोर हवा स्वास्थ्य और जीवित रहने के लिए आवश्यक हो गई है। याचिका में तर्क दिया गया कि एयर प्यूरीफायर (Air Purifiers) पर सबसे ऊंची स्लैब में जीएसटी लगाना इसे आर्थिक रूप से बड़ी आबादी के लिए पहुंच से बाहर कर देता है, जो मनमाना और असंवैधानिक है।