झूठी खबरों के दौर में सच शिकार हो गया है। सोशल मीडिया के प्रसार के साथ, जो कुछ बीज के रूप में कहा जाता है वह वस्तुतः एक पूरे सिद्धांत में अंकुरित होता है जिसका कभी तर्कसंगत विज्ञान की कसौटी पर परीक्षण नहीं किया जा सकता है। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि भारतीय संविधान वैश्वीकरण का एक प्रमुख उदाहरण है और यह हमारे वैश्वीकरण के युग में प्रवेश करने से पहले से है।
नई दिल्ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud) ने शुक्रवार को कहा कि झूठी खबर के दौर में सच पीड़ित हो गया है। सोशल मीडिया के प्रसार के साथ ही हालात ऐसे बन गए हैं कि कई बार जो कुछ कहा या सुना जाता है, उसकी तार्किक आधार पर कभी पुष्टि नहीं की जा सकती। आप जो कुछ भी करते हैं उसके लिए आपको किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा ट्रोल किए जाने का खतरा होता है जो आपसे सहमत नहीं है।
सीजेआई ने अमेरिकन बार एसोसिएशन (ABA)की तीन दिवसीय कॉन्फ्रेंस में “लॉ इन एज ऑफ ग्लोकलाइजेशन: कन्वर्जेंस ऑफ इंडिया एंड द वेस्ट” विषय पर अपने व्याख्यान में ये बातें कहीं। इसके साथ ही मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि, हम ऐसे युग में रहते हैं जहां लोगों के पास सब्र और सहिष्णुता की कमी है, क्योंकि वे ऐसे नजरिए को स्वीकार करने के इच्छुक नहीं हैं जो उनके दृष्टिकोण से भिन्न हो।
इसके साथ ही कहा कि, झूठी खबरों के दौर में सच शिकार हो गया है। सोशल मीडिया के प्रसार के साथ, जो कुछ बीज के रूप में कहा जाता है वह वस्तुतः एक पूरे सिद्धांत में अंकुरित होता है जिसका कभी तर्कसंगत विज्ञान की कसौटी पर परीक्षण नहीं किया जा सकता है। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि भारतीय संविधान वैश्वीकरण का एक प्रमुख उदाहरण है और यह हमारे वैश्वीकरण के युग में प्रवेश करने से पहले से है।
उन्होंने कहा कि जब संविधान का मसौदा तैयार किया गया था, तब इसके निर्माताओं को संभवतः यह पता नहीं था कि मानवता किस दिशा में विकसित होगी। उन्होंने कहा, हमारे पास निजता को लेकर विचार नहीं था, क्योंकि तब इंटरनेट नहीं था। हमारे पास निश्चित रूप से सोशल मीडिया नहीं था। सीजेआई ने कहा कि न्यायाधीश के तौर पर हम उन चीज़ों के अपवाद नहीं हैं, जो आप करते हैं। आप ऐसे किसी व्यक्ति द्वारा ट्रोल किए जाने के खतरे का सामना करते हैं, जो आपका नजरिया साझा नहीं करता है।