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वाराणसी में फूलों से निर्मित होगी अगरबत्ती, CSIR-CIMAP ने तकनीक हस्तांतरित की

सीएसआईआर -केन्द्रीय औषधीय व सगंध पौधा संस्थान (CSIR-CIMAP), लखनऊ ने फूलों से अगरबत्ती बनाने की तकनीक शुक्रवार को साईं इंस्टीट्यूट ऑफ रुरल डेव्लपमेंट, वाराणसी को को हस्तांतरित किया है।प्रौद्योगिकी हस्तांतरण अनुबंध पर सीएसआईआर-सीमैप के प्रशासनिक नियंत्रक, भास्कर ज्योति देउरी व साईं इंस्टीट्यूट ऑफ रुरल डेव्लपमेंटए वाराणसी के प्रमुख डॉ. अजय कुमार सिंह ने हस्ताक्षर किए। संस्था अगले दो महीनो में वाराणसी के मंदिरों पर चढ़े फूलों से अगरबती व कोन का निर्माण शुरू कर अपने ब्रांड का उत्पाद बाजार में उतारेगी।

By संतोष सिंह 
Updated Date

लखनऊ। सीएसआईआर -केन्द्रीय औषधीय व सगंध पौधा संस्थान (CSIR-CIMAP), लखनऊ ने फूलों से अगरबत्ती बनाने की तकनीक शुक्रवार को साईं इंस्टीट्यूट ऑफ रुरल डेव्लपमेंट, वाराणसी को को हस्तांतरित किया है।

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प्रौद्योगिकी हस्तांतरण अनुबंध पर सीएसआईआर-सीमैप के प्रशासनिक नियंत्रक, भास्कर ज्योति देउरी व साईं इंस्टीट्यूट ऑफ रुरल डेव्लपमेंटए वाराणसी के प्रमुख डॉ. अजय कुमार सिंह ने हस्ताक्षर किए। संस्था अगले दो महीनो में वाराणसी के मंदिरों पर चढ़े फूलों से अगरबती व कोन का निर्माण शुरू कर अपने ब्रांड का उत्पाद बाजार में उतारेगी।

CSIR-CIMAP के निदेशक डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने बताया कि इस तकनीक से उत्तर प्रदेश के कई शहरों जैसे गोरखपुरए अयोध्या, बनारस, लखनऊ व लखीमपुर में यह कार्य महिलाओं के साथ-साथ जिला कारागार में भी चल रहा है। इसके प्रशिक्षण आयोजित कर महिलाओं को रोजगार प्रदान किया जा रहा है। इन उत्पादों को सीएसआईआर-सीमैप के वैज्ञानिक रूप से परीक्षण किया गया है। ये उत्पाद ज्यादातर मंदिर में चढ़े फूलों से तथा सुगंधित तेलों से बने होते हैं और इस संस्थान द्वारा उनके उत्पादन से देश में फूलों की खेती करने वाले किसानों को भी आर्थिक लाभ होगा ।

इस तकनीकी पर 16 दिसंबर 2020 को बनारस में साईं इंस्टीट्यूट ऑफ रुरल डेव्लपमेंटए वाराणसी में एक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जिसके फलस्वरूप आज इस अनुबंध पर हस्ताक्षर किये जा रहा हैं । इस तकनीकि के हस्तांतरण से प्रधान मंत्री के स्वच्छता अभियान को भी गति मिलेगी व मंदिरों के चढ़ावे के फूलों से महिलाएं आत्मनिर्भर बनेगी। इस अवसर पर भास्कर देउरी, प्रशासनिक नियंत्रक, डॉ. संजय कुमार, डॉ. राम सुरेश शर्मा आदि भी मौजूद थे।

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