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कोरोना काल में पीएम मोदी की पहल पर मात्र नौ महीने में तैयार की दुनिया की 2 सर्वश्रेष्ठ वैक्सीन : योगी

यूपी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में विगत साढ़े 6 वर्षों में प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं और अधिक बेहतर हुई हैं। प्रदेश में एक ओर चिकित्सा, स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हो रही है, वहीं परम्परागत चिकित्सा पद्धति को प्रोत्साहित करने का कार्य किया जा रहा है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

लखनऊ: यूपी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में विगत साढ़े 6 वर्षों में प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं और अधिक बेहतर हुई हैं। प्रदेश में एक ओर चिकित्सा, स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हो रही है, वहीं परम्परागत चिकित्सा पद्धति को प्रोत्साहित करने का कार्य किया जा रहा है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में जो प्रयास प्रारम्भ किए गए उसके परिणाम सबके सामने हैं।

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मुख्यमंत्री ने आज यहां लोक भवन में ‘मिशन रोजगार’ के अन्तर्गत निष्पक्ष एवं पारदर्शी चयन प्रक्रिया द्वारा चयनित 278 सहायक आचार्य, 2,142 स्टाफ नर्स एवं 48 आयुष चिकित्सा शिक्षकों को नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने नवचयनित 05 चिकित्सा शिक्षकों, 07 स्टाफ नर्सों एवं 05 आयुष चिकित्सा शिक्षकों को नियुक्ति पत्र वितरित किए। इसके पश्चात, मुख्यमंत्री जी ने 674 एम्बुलेंस एवं 81 एडवांस लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस का हरी झण्डी दिखाकर लोकार्पण किया। कार्यक्रम में चिकित्सा शिक्षा, आयुष एवं स्वास्थ्य सेवाओं से सम्बन्धित एक लघु फिल्म का प्रदर्शन किया गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी व्यक्ति के पास कितनी भी धन सम्पदा क्यों न हो यदि उसका स्वास्थ्य उत्तम नहीं है, तो इसका कोई मूल्य नहीं है। हमारी परम्परा भी कहती है कि ‘शरीरमाद्यं खलु धर्म साधनम्’ अर्थात् धर्म के जितने भी साधन हैं, वह सभी स्वस्थ शरीर से ही सम्भव होते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज एलोपैथी और आयुष से जुड़े हुए लगभग ढाई हजार नियुक्ति पत्रों का वितरण किया जा रहा है। यह प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग की उत्तरोत्तर प्रगति और सुदृढ़ीकरण की दिशा में शुभ संकेत है। वर्ष 2017 के पूर्व प्रदेश प्रत्येक क्षेत्र में पिछड़ा हुआ था। यहां के युवाओं के सामने पहचान का संकट था। विगत साढ़े 6 वर्षों में किए गए प्रयास का परिणाम है कि आज लोग उत्तर प्रदेश का नाम गर्व से लेते हैं। डबल इंजन सरकार द्वारा विकास के कार्य तेज गति से आगे बढ़ाए जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में वर्ष 1947 से वर्ष 2017 तक केवल 12 मेडिकल कॉलेज बन पाए थे। वर्ष 2017 के पश्चात 18 मेडिकल कॉलेज क्रियाशील हो चुके हैं तथा 14 नए मेडिकल कॉलेज का निर्माण हो रहा है। नवीन मेडिकल कॉलेजों में इस सत्र और अगले सत्र में प्रवेश की प्रक्रिया प्रारम्भ की जाएगी। मेडिकल कॉलेजों में नर्सिंग और पैरामेडिकल कोर्सेज के कार्यक्रम भी प्रारम्भ हो, इसके लिए ‘मिशन निरामया’ के अन्तर्गत एक बड़े अभियान को आगे बढा़ने का कार्यक्रम चल रहा है।

पैरामेडिकल और नर्सिंग स्टाफ स्वास्थ्य क्षेत्र की बैकबोन है। स्वास्थ्य सेवाओं की मजबूती तथा चिकित्सा शिक्षा में आमूल-चूल परिवर्तन के लिए श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेई जी के नाम पर लखनऊ में चिकित्सा विश्वविद्यालय बन रहा है। यह विश्वविद्यालय प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों को संबद्ध करेगा। इसके लिए युद्ध स्तर पर कार्य चल रहा है।

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मुख्यमंत्री  ने कहा कि आयुष्मान भारत योजना एवं मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना के अंतर्गत लगभग 10 करोड़ लोगों को 05 लाख रुपए का स्वास्थ्य बीमा कवर उपलब्ध कराया जा रहा है। आज स्वास्थ्य सुविधा के अभाव में कोई भी गरीब चिकित्सा से वंचित नहीं रह सकता। इसके अन्तर्गत राजकीय जिला चिकित्सालयों, सीएचसी, पीएचसी तथा मेडिकल कॉलेजों में स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। यदि कोई व्यक्ति प्राइवेट अस्पताल में चिकित्सा सुविधा प्राप्त करना चाहे, तो उसके लिए 05 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा कवर प्रदान किया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के 72 जनपदों में डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध कराई जा चुकी है। प्रत्येक जनपद में आईसीयू स्थापित किए जा चुके हैं। बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाओं को आगे बढ़ाने के क्रम में ‘108’ और ‘102’ की एम्बुलेंस सेवा के रिस्पाॅन्स टाइम को न्यूनतम स्तर पर लाने के प्रयास किए गए हैं। प्रदेश के जनपद गोरखपुर और रायबरेली में एम्स कार्य कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि परम्परागत चिकित्सा पद्धति को प्रोत्साहित करने के लिए भारत सरकार ने आयुष मंत्रालय का गठन किया। उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2017 के बाद आयुष विभाग स्थापित कर इस क्षेत्र में कार्य करना प्रारम्भ किया। आज आयुष विभाग के पास स्वयं का विश्वविद्यालय है। आयुष विश्वविद्यालय के साथ नए कॉलेजों को मान्यता देने के क्रम में तेजी के साथ कार्य किया जा रहा है। राज्य में हेल्थ और वेलनेस सेण्टर की स्थापना के साथ, अनेक अन्य कार्य भी किए जा रहे हैं। प्रदेश में इस क्षेत्र में व्यापक सम्भावनाएं हैं।

मुख्यमंत्री ने नवनियुक्त अभ्यर्थियों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि उनकी गरिमा और सम्मान तभी रह पाएगा, जब वह समय से दो कदम आगे चलने का सामथ्र्य रखेंगे। प्रधानाचार्य संस्था का प्रमुख होता है। संस्था का प्रमुख जैसा होगा, सारी व्यवस्थाएं वैसी ही होंगी। जहां अच्छे प्रधानाचार्य कार्य कर रहे हैं, समय देने के साथ-साथ एक-एक गतिविधि पर नजर रखते हैं, वहां मेडिकल कॉलेज ठीक से कार्य कर रहे हैं तथा मरीजों का भी सर्वोत्तम इलाज हो रहा है। जहां कार्यों के प्रति लापरवाही होती है और टीमवर्क से कार्य नहीं किया जाता, वह संस्थान अच्छे से कार्य नहीं कर पाता।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य, प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और लेक्चरर क्लास लेने के साथ-साथ ओपीडी में भी बैठें तथा मरीज को देखने के लिए नियमित राउण्ड करें। इससे मरीजों की आवश्यकता का पता चलेगा। मरीजों की मासिक और वार्षिक रिपोर्ट का संकलन कर केस स्टडी भी तैयार करें। शोध कार्य करने के साथ रिसर्च पेपर भी लिखें। बहुत सारी बीमारियों का स्थानीय परिस्थिति के अनुसार उपचार ढूंढना पड़ेगा, ताकि मरीजों को स्थानीय स्तर पर तत्काल उपचार मिल सके।

मुख्यमंत्री ने कहा कि लोग आपके बारे में अच्छा सोचें, बोलें और चर्चा करें, यह आपके व्यवहार पर निर्भर करता है। मरीजों और परिजनों के साथ सदैव अच्छा व्यवहार करें। मरीजों के प्रति सहानुभूति रखें एवं उन्हें सांत्वना देते रहें। इससे मरीजों की आधी बीमारी स्वतः ही दूर हो जाएगी। स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ प्रदेशवासियों और प्रदेश में उपचार के लिए आने वाले मरीजों को मिलना चाहिए। जब लक्ष्मण जी को शक्तिबाण लगा था, तो रावण के चिकित्सक ने उपचार किया था। चिकित्सक के लिए सभी व्यक्ति समान होते हैं।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना कालखंड में प्रधानमंत्री की पहल पर मात्र 09 महीने में दुनिया की 2 सर्वश्रेष्ठ वैक्सीन तैयार की गई। इनकी सहायता से देश के नागरिकों को बचाने के साथ-साथ दुनिया के लगभग 100 देशों के नागरिकों की जान बचाई गई। प्रदेश में वर्ष 2017 से पूर्व प्रत्येक वर्ष इंसेफेलाइटिस से 1,200 से 1,500 बच्चों की मृत्यु होती थी। प्रदेश सरकार ने वर्ष 2017 में इस बीमारी से लड़ने के लिए अभियान चलाया। अंतर्विभागीय समन्वय के माध्यम से कार्य कर मात्र 04 वर्षों में इस बीमारी को पूरी तरह नियंत्रित किया गया। मृत्यु के आंकड़ों को 96 से 98 फीसदी तक नियंत्रित किया गया है। मलेरिया के आंकड़ों में भी अभूतपूर्व सुधार देखने को मिला है। प्रदेश में चिकनगुनिया, कालाजार, डेंगू आदि बीमारियां नियंत्रण में है।

कार्यक्रम को उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक तथा चिकित्सा शिक्षा राज्यमंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह ने भी सम्बोधित किया। इस अवसर पर आयुष राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’, मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र, प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य तथा चिकित्सा शिक्षा पार्थ सारथी सेन शर्मा, प्रमुख सचिव आयुष लीना जौहरी सहित शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी एवं गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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