जहां एक तरफ किसान को देवताओं का दर्जा दिया जाता है वहीं दूसरी तरफ भारतीय किसानों की आर्थिक हालत उतनी अच्छी नहीं है, जितनी होनी चाहिए। यहां तक किसी ने ये तक कह डाला...देवताओं से भी हल नहीं हुई, जिन्दगी कही सरल नही हुई, कि अबके साल फिर यही हुआ, अबके साल फिर फसल नही हुई।
इटावा: जहां एक तरफ किसान को देवताओं का दर्जा दिया जाता है वहीं दूसरी तरफ भारतीय किसानों की आर्थिक हालत उतनी अच्छी नहीं है, जितनी होनी चाहिए। यहां तक किसी ने ये तक कह डाला…देवताओं से भी हल नहीं हुई, जिन्दगी कही सरल नही हुई, कि अबके साल फिर यही हुआ, अबके साल फिर फसल नही हुई।
जहां एक तरफ किसानों के घाटे के सौदे कीमती बनाने विदेश से एमबीए की पढ़ाई कर लौटी देश की बेटी पूर्वी मिश्रा ने हाइड्रोपोनिक खेती (पानी में होने वाली खेती) शुरू कर नई मिसाल कायम की है। पूर्वी का ने हाइड्रोपोनिक खेती करने का सबसे बड़ा उद्देश्य यह है कि देश में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया जा सके, और साथ घर घर आसानी से सस्ती सब्जियां पहुंचाई जा सकें।
आपको बता दें पूर्वी तकरीबन 5 हजार स्क्वायर फीट के फार्महाउस में हाइड्रोपोनिक तरीके से सब्जियां उगाती है। अब आप सोच रहें होंगे हाइड्रोपोनिक तकनीक क्या है? तो हम आपको बता दें, इस तकनीक में 80 फीसदी पानी की सहायता से सब्जियां उगाई जाती हैं। आपको जान कर हैरानी होगी कि कई सब्जियां तो ऐसी हैं जो विदेशी हैं और विशेष मौसम में ही उगाई जा सकती हैं। इसकी सबसे खास बात ये हैं कि इन सब्जियों को उगाने में मिट्टी, खाद और केमिकल का किसी भी तरह का प्रयोग नहीं किया जा रहा है। इन्हें केवल बैक्टीरिया रहित आरओ वाटर से तैयार किया जाता है।
पूर्वी बताती हैं कि इस खेती में मिट्टी का कोई प्रयोग नहीं होता और महज पानी और नारियल के स्क्रैप का इस्तेमाल किया जाता है। वहीं इसको लोग सॉइलेस फॉर्मिंग भी कहते हैं। इसमें एनएफटी टेबल लगाई गई है जिसमें पानी का फ्लो होता है। फिर वह पानी वापस जाकर दोबारा से रिसाइकल होता है। इस तकनीक से उगने वाली सब्जियों का सेवन करने से इम्युनिटी भी मजबूत होती है। इतना ही नहीं पूर्वी आगे बताती हैं उनकी सब्जियां रेस्टोरेंट और होटलों में भी सप्लाई की जाती हैं। पास के शहर आगरा और कानपुर में भी इसकी सप्लाई होती है