जम्मू एयरफोर्स स्टेशन पर ड्रोन हमले की साजिश पाकिस्तान में रची गई थी। ज्यादा आशंका इसकी भी है कि हमला करने वाले ड्रोन पाकिस्तान से भेजे गए हो। माना जा रहा है कि इसके लिए मकवाल बॉर्डर को रूट बनाया गया। एजेंसियां यह भी देख रही हैं कि ड्रोन को लश्कर के लिए काम करने वाले किसी आतंकी या ओजी वर्कर ने एयरबेस के पास से तो संचालित नहीं किया।
नई दिल्ली। जम्मू एयरफोर्स स्टेशन पर ड्रोन हमले की साजिश पाकिस्तान में रची गई थी। ज्यादा आशंका इसकी भी है कि हमला करने वाले ड्रोन पाकिस्तान से भेजे गए हो। माना जा रहा है कि इसके लिए मकवाल बॉर्डर को रूट बनाया गया। एजेंसियां यह भी देख रही हैं कि ड्रोन को लश्कर के लिए काम करने वाले किसी आतंकी या ओजी वर्कर ने एयरबेस के पास से तो संचालित नहीं किया।
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 27 जून को हुए हमले की साजिश पाकिस्तान में रची गई है। इसके पीछे आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के सरगना हाफिज सईद और आईएसआई का हाथ है। इस हमले की साजिश लश्कर के ही बनाए गए अन्य संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने रची है। टीआरएफ ही इस तरह के हमलों को अंजाम देने की साजिश रचता है। सूत्रों का कहना है कि ड्रोन के साथ पेलोड होकर आने वाला सामान रिमोट से फेंका जाता है। इसके नीचे एक तेज कटर लगा होता है, जो कमांड देने पर पेलोड की गई वस्तु को काटकर नीचे फेंक देता है।
नरवाल क्षेत्र से पकड़े गए टीआरएफ के आतंकी नदीम उल हक का वायुसेना स्टेशन पर हुए हमले में हाथ होने का शक है। नदीम से मिली पांच किलो आईईडी जम्मू में ही दी गई थी। इस आईईडी को नदीम ने अलग-अलग लोकेशन में लगाकर धमाके करने थे। इससे पहले ही वह पकड़ा गया।
सूत्रों का कहना है कि वायुसेना स्टेशन पर हुए हमले की जांच करने वाली एनआईए की टीम जल्द ही नदीम से पूछताछ कर सकती है। नदीम इस हमले की जानकारी दे सकता है। हमले के पीछे लश्कर के नए संगठन टीआरएफ का हाथ बताया जा रहा है और नदीम टीआरएफ के लिए काम करता है।हमले को पाकिस्तान में बैठे हैंडलरों ने अंजाम दिया है। वहीं नदीम भी पाकिस्तान में बैठे टीआरएफ के हैंडलरों के संपर्क में था।