हिमाचल के सोलन कसौली क्लब में शुक्रवार से तीन दिवसीय खुशवंत सिंह लिटफेस्ट (Khushwant Singh Literature Festival) का आगाज हो गया है। कसौली की सर्द वादियों के बीच पहले दिन का पहला सत्र खूब गर्म रहा। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पति और राजनीतिक अर्थशास्त्री व सामाजिक टिप्पणीकार परकला प्रभाकर ने देश की राजनीतिक पार्टियों पर सवाल उठाए हैं।
सोलन। हिमाचल के सोलन कसौली क्लब में शुक्रवार से तीन दिवसीय खुशवंत सिंह लिटफेस्ट (Khushwant Singh Literature Festival) का आगाज हो गया है। कसौली की सर्द वादियों के बीच पहले दिन का पहला सत्र खूब गर्म रहा। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Union Finance Minister Nirmala Sitharaman) के पति परकला प्रभाकर (Parakala Prabhakar) और राजनीतिक अर्थशास्त्री व सामाजिक टिप्पणीकार परकला प्रभाकर ने देश की राजनीतिक पार्टियों पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि आज के नए इंडिया के लिए राजनीतिक दल जिम्मेवार हैं। उन्होंने मोदी सरकार (Modi Government) की नीतियों पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि केंद्र में केवल नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और अमित शाह (Amit Shah) के अलावा कुछ नहीं है।
परकला प्रभाकर (Parakala Prabhakar) ने कहा कि मोदी सरकार (Modi Government) तानाशाह है। उन्होंने कहा कि अगर 2024 में फिर मोदी सरकार (Modi Government) जीतकर सत्ता में आती है, तो देश की अर्थव्यवस्था पर गहरा आघात होगा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार (Modi Government) ब्रांडिंग पर चल रही है। वह 80 फीसदी पैसा ब्रांडिंग पर खर्च कर रही है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ में केवल ब्रांडिंग मोदी की हुई। अन्य दल भी अब इसका अनुसरण कर रहे हैं। एक योजना को दिखाने के लिए मोदी सरकार (Modi Government) देशभर में बैनर व होर्डिंग्स लगा देती है, जिसमें केवल मोदी ही होते हैं।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा और महिला आरक्षण बिल लाने वाला शासन कितना संजीदा है? इस बात का अंदाजा जंतर-मंतर में महिला रेस्लर्स का विरोध प्रदर्शन और 15 अगस्त को बिलकिस बानो मामले के दोषियों की रिहाई से लगाया जा सकता है। उनकी नई किताब द क्रुक्ड टिंबर ऑफ न्यू इंडिया एसेज ऑन ए रिपब्लिक इन क्राइसिस पर चर्चा करते हुए मोदी सरकार (Modi Government) को तानाशाह बताया। उन्होंने खुलकर भाजपा पर सवाल उठाए। इसका असर यह हुआ है कि लिटफेस्ट के दौरान रखी गई उनकी 200 में से 170 किताबें एक घंटे में बिक गईं।
तीन दिन तक चलने वाले इस लिटफेस्ट का थीम ‘दी रिवोल्यूशन विल नॉट बी टेलीविज्ड, बी द चेंज वांट टू सी’ रखा गया है। इसमें देश-विदेश के कई लेखक, साहित्यकार, चित्रकार, अभिनेता, सैन्य अधिकारी और राजनीति से जुड़ी बड़ी हस्तियां भाग ले रही हैं। राजनीतिक अर्थशास्त्री परकला प्रभाकर (Parakala Prabhakar) के अलावा पहले दिन जयदीप मुकरजिया, आर गोपालकृष्णन और राहुल सिंह ने ‘लव ऑल’ विषय पर डिबेट की। इसके बाद इंद्राणी मुखर्जी ने ‘द सैकेंड बिकमिंग’ पर चर्चा की। अनिरुद्ध सूरी ने द फेलियर हेयर एंड नॉउ विषय पर चर्चा की। वहीं कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने द मल्टी-हाइफेनेट विषय को उजागर किया।
2014 का चुनाव भाजपा ने हिंदुत्व के मुद्दे पर जीता
परकला प्रभाकर (Parakala Prabhakar) बोले, भाजपा ने हिंदुत्व के मुद्दे पर 2014 का चुनाव जीता था। विकास के जो वादे किए थे, वे 2018 तक आते-आते खत्म कर दिए। भाजपा राजनीति नहीं, बल्कि व्यापार करती है। इसका अनुसरण अब देश की सभी पार्टियां भी करने लगी हैं। धर्मनिरपेक्षता का राग अलापने वाली भाजपा अब हिंदुत्व को बढ़ावा दे रही है।
अल्पसंख्यकों के लिए खतरा है भाजपा
परकला प्रभाकर (Parakala Prabhakar) ने कहा कि मोदी सरकार (Modi Government) देश के अल्पसंख्यकों के लिए खतरा है। सत्ता में आते ही मीडिया को बोलने की आजादी नहीं दी। देश के बड़े-बड़े शिक्षण संस्थानों पर टैक्स लगा दिया, जो कि हमारे देश की शिक्षा प्रणाली पर खतरा है। मोदी सरकार (Modi Government) ने केवल लोगों को दबाने का काम किया है। भाजपा देश को केवल डराने का काम कर रही है।
परकला प्रभावर ,बोले-मेरे साथ कुछ भी हो सकता है
डिबेटर बावेजा ने कहा कि सरकार की इस तरह आलोचना करने से डर नहीं लगता। प्रभाकर ने कहा कि मेरे साथ कुछ भी हो सकता है। जब मेरी किताब लॉन्च हुई तो भी मुझे कई फोन आए, लेकिन मैं इसकी परवाह नहीं करता। उनके घर की शांति पर पूछे सवाल को उन्होंने टाल दिया। उन्होंने कहा कि इस सवाल का जिक्र यहां नहीं होना चाहिए। यहां मैं लोगों को एंटरटेन करने नहीं आया हूं। इस तरह के सवाल शोभा नहीं देते। बार-बार टटोलने पर भी प्रभाकर ने इसका जवाब नहीं दिया।
जो मैंने देखा, वही लिखा है
चर्चा के बाद परकला प्रभाकर (Parakala Prabhakar) ने कहा कि जो भी मैंने लिखा और बोला है यह सब मैंने देखा है। इससे मेरे परिवार और घर के माहौल पर कोई असर नहीं पड़ेगा। मैं जो देख रहा हूं उसे बोलने और लिखने से नहीं डरता। हालांकि इससे कुछ लोगों को जरूर परेशानी होगी। इसमें भाग लेने के लिए कई साहित्यकार कसौली पहुंच गए हैं। तीन दिन तक साहित्यकार, राजनीतिज्ञ, अभिनेता, पूर्व सैन्य अधिकारी 21 सत्रों पर चर्चा करेंगे। राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय ज्वलंत मुद्दों पर भी साहित्यकार राय रखेंगे।