होली का त्योहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। युगों पुरानी इस परंपरा को मनाने के पीछे पौराणिक कथा प्रचलित है। हर साल लोग होलिका दहन मनाते हैं। इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। होली का त्योहार विष्णु भक्त प्रह्रलाद, हिरण्यकश्यप और होलिका की कथा से जुड़ी हुई है।
Holi 2022 : होली का त्योहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। युगों पुरानी इस परंपरा को मनाने के पीछे पौराणिक कथा प्रचलित है। हर साल लोग होलिका दहन मनाते हैं। इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। होली का त्योहार विष्णु भक्त प्रह्रलाद, हिरण्यकश्यप और होलिका की कथा से जुड़ी हुई है। हिरण्यकश्यप भक्त प्रह्रलाद के पिता थे। हिरण्यकश्यप ने कठोर तप करके वरदान के रूप में ऐसी शक्तियां प्राप्त कर ली थी कि कोई भी प्राणी, कहीं भी, किसी भी समय उसे मार नहीं सकता था। हिरण्यकश्यप शक्तियां को पाते ही पूरे राज्य में अपनी पूजा करवाने लगा।
हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रह्रलाद भगवान के परम भक्त थे। प्रह्रलाद की भगवत भक्ति से हिरण्यकश्यप जलता रहता था। वह प्रह्रलाद को भगवान भक्ति से दूर करने की कोशिश करने लगा। हिरण्यकश्यप के द्वारा भक्त प्रह्रलाद को विष्णु उपासना से दूर करने की कोशिश लगातार होती रही।पिता के बार-बार समझाने के बावजूद भक्त प्रह्रलाद विष्णु जी की आराधना नहीं छोड़ी। पिता हिरण्यकश्यप अपने पुत्र को मरवाने की हर कोशिश की, लेकिन भक्त प्रह्रलाद विष्णु भक्ति के कारण हर बार बच जाते।
अंत में हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन और भक्त प्रह्रलाद की बुआ होलिका को अपने पुत्र को मारने का आदेश दिया। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को एक वरदान प्राप्त था जिसमें वह कभी भी आग से नहीं जल सकती थी। वरदान का लाभ उठाने के लिए हिरण्यकश्यप ने बहन से प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठने का आदेश दिया, ताकि आग में जलकर प्रह्लाद की मृत्यु हो जाए। अपने भाई हिरण्यकश्यप के आदेश का पालन करते हुए होलिका प्रह्रलाद को लेकर आग में बैठ गई लेकिन तब भी प्रह्रलाद भगवान विष्णु के नाम का जप करते रहे और भगवान विष्णु की कृपा से प्रहलाद बच गए और होलिका उस आग में जलकर मर गई।