कनाडा में इन दिनों आसमान से आग बरस रही है। अगर ऐसा कहा जाए तो गलत नहीं होगा। देश में गर्मी ने अपने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। लू के थपेड़ों के कारण यहां कई लोगों की जान चली गई है। गर्मी का असर कनाडा के वैंकुवर शहर में सबसे ज्यादा असर देखने को मिल रहा है।
नई दिल्ली। कनाडा में इन दिनों आसमान से आग बरस रही है। अगर ऐसा कहा जाए तो गलत नहीं होगा। देश में गर्मी ने अपने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। लू के थपेड़ों के कारण यहां कई लोगों की जान चली गई है। गर्मी का असर कनाडा के वैंकुवर शहर में सबसे ज्यादा असर देखने को मिल रहा है।
वैंकूवर के सिटी पुलिस विभाग और रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार गर्मी के कारण 134 लोग अचानक मौत के शिकार हो गए। वैंकूवर पुलिस ने बताया कि करीब 65 लोगों की मौत हो गई है। इसकी वजह गर्मी है। बता दें कि कनाडा में मंगलवार को अब तक का सबसे ज्यादा तापमान रहा है। कनाडा के मौसम विभाग ने बताया कि मंगलवार को पारा 49.5 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है।
आइए समझते हैं ये हालात क्यों बने और कब तक रहेंगे?
पुलिस सार्जेंट स्टीव एडिसन ने बताया कि वैंकुवर ने कभी भी इतनी गर्मी नहीं देखी है। दुर्भाग्य से दर्जनों लोग इसके कारण मर रहे हैं। अन्य म्यूनिसिपैलिटी इलाकों में भी अचानक मौतों के मामले दर्ज हुए हैं, लेकिन अभी इनके आंकड़े जारी नहीं किए गए हैं। वहीं, इस पूरे मामले पर विशेषज्ञों का मानना है कि इसके पीछे की वजह कई सालों की मानव निर्मित वातावरणीय क्षति और पर्यावरण में असंतुलन है। मौसमी घटनाओं और गर्मी का जो गुंबद (हीटडोम) खड़ा हुआ है वो सदी में एक बार होता है।
हीटडोम क्या होता है?
सीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक हीटडोम गर्म हवाओं का एक पहाड़ होता है, जो बहुत तेज हवा की लहरों के उतार चढ़ाव से बनता है। जब तेज लहर चलती हैं- वातावरण के ऊपर स्तर में मजबूत हवाओं का एक बांध बना जाता है, जिससे ये काफी तीव्र और लंबा हो जाता है। दबाव तंत्र इसे संकुचित करता है और जिस जगह पर इसे नहीं होना चाहिए था ये वहीं फंस कर रह जाती है। इस मामले में उच्च दबाव का क्षेत्र जो हीट डोम है वो पेसिफिक उत्तर पश्चिम में ही रह गया है। वह मौसम को रोकने का काम कर रहा है और उसे आगे बढ़ने नहीं दे रहा है।
इससे तापमान कैसे बढ़ता है?
उच्च दबाव के क्षेत्र जैसे हीट डोम में हवा सिकुड़ती है। ये सिकुड़न जमीन की हवा पर होता है। सिकुड़न के जरिए एयर कॉलम गर्म हो जाते हैं। साथ ही हवाएं पहाड़ से नीचे की तरफ बहती है और नीचे मौजूद शहर जैसे सीटल और पोर्टलैंड। नीचे की तरफ बहाव भी इसे गर्म करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि हफ्ते भर में तापमान बेहतर हो जाएगा। इसे सदी में एक बार क्यों कहा जा रहा है, क्या ये अब अगले 1000 साल तक नहीं होगा। सामान्य परिस्थितियों में सांख्यिकीविद का मानना है कि ये घटना हज़ार साल में एक बार होती है। हालांकि इस घटना के जल्दी होने की आशंका ज्यादा है, क्योंकि मानव निर्मित गर्मी वातावरण को लगातार गर्म कर रही है।
क्या होगा भविष्य में?
प्राथमिक तौर पर तो ये मौसम में बदलाव का नतीजा नज़र आता है, जिसकी वजह से तापमान में रिकॉर्ड बदलाव देखने को मिल रहे हैं। वैश्विक स्तर पर इस दशक में 2019 सबसे ज्यादा गर्म साल था। सबसे गर्म साल पिछले पांच साल ही थे। यूएस पैसिफिक पोर्टलैंड के उत्तर पश्चिमी शहर, ओरेगॉन और सीटल वॉशिंगटन में जो तापमान पहुंचा है। वह 1940 से अब तक नहीं रिकॉर्ड किया गया। 115 फॉरेनहाइट पोर्टलैंड में और 108 सीटल में दर्ज किया गया। वैंकुवर के पैसिफिक तट पर कई दिन के लिए तापमान 86 डिग्री फॉरेनहाइट (सामान्य से 20 डिग्री ज्यादा) दर्ज किया गया। फ्रेसर नदी डेल्टा के साथ लगे इंग्लैंड में अधिक आद्रता की वजह से वातावरण विशेषज्ञों को 111 डिग्री फॉरेनहाइट तापमान महसूस हुआ।
अत्यधिक गर्मी और उसके साथ सूखा पड़ने की वजह से कई जगह आग लगने का खतरा भी बढ़ गया है। कैलिफोर्निया सीमा पर 1500 एकड़ का इलाका आग में झुलस भी रहा है।