भोपाल। सूबे के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी पी. नरहरि और शोधकर्ता देव ऋषि द्वारा राम राजा नामक पुस्तक को लिखा है। हालांकि इसका विमोचन बीते दिनों सीएम डॉक्टर मोहन यादव ने कर दिया था लेकिन रामनवमी से यह पुस्तक पाठकों को उपलब्ध हो जाएगी।
आगे इस किताब पर एक फिल्म भी बनेगी। नामी प्रोड्यूसर भरत चौधरी ने किताब के लेखकों से संपर्क किया है। इसका डायरेक्शन भी लेखक देवऋषि ही करेंगे।
यह है कथा…: रानी श्रीराम की मूर्ति को लेकर ओरछा आई और जब तक मंदिर निर्माण नहीं हुआ, तब तक वह मूर्ति महल में ही रखी रही। बाद में जब रामराजा के मंदिर का निर्माण किया गया, तब तक भगवान राम वहीं प्रतिष्ठित हो चुके थे और उनकी शर्तों के अनुसार, उन्हें अब महल से हटाया नहीं जा सकता था। तभी से भगवान श्री राम ओरछा के राजा के रूप में पूजे जाते हैं। किताब में यह भी बताया गया है कि जिस दिन भगवान श्रीराम ने रानी कुंवर गणेश को दर्शन दिए, उसी दिन गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस की रचना आरंभ की थी। यह संयोग भारतीय संस्कृति की आध्यात्मिक गहराइयों को दर्शाता है।
किताब में रामराजा ओरछा के ऐतिहासिक वैभव के साथ उन तमाम पहलुओं को शामिल किया गया है, जो अब तक मानो अनछुए थे। इसमें बताया गया है कि प्रदेश का ओरछा एकमात्र ऐसा स्थान है, जहां भगवान श्रीराम को राजा के रूप में पूजा जाता है। रामराजा मंदिर का इतिहास 15वीं शताब्दी से जुड़ा है। जब बुंदेलखंड के शासक राजा मधुकर शाह और उनकी रानी कुंवर गणेश के भक्ति मार्ग ने इस परंपरा को जन्म दिया। राजा मधुकर शाह भगवान श्रीकृष्ण के उपासक थे और वे चाहते थे कि रानी भी उनके साथ वृंदावन जाएं, लेकिन रानी श्रीराम की अनन्य भक्त थीं। उन्होंने अयोध्या जाकर कठोर तपस्या करने का संकल्प लिया। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान श्रीराम ने बाल रूप में दर्शन दिए और उनके साथ ओरछा आने के लिए सहमत हुए।