यूपी जल्द क्राइम कंट्रोल करने में नबंर वन बनने जा रहा है। इसके लिए योगी सरकार ने एक मास्टर प्लान पूरे प्रदेश में लागू करने के जोर शोर से तैयारी की है। फिलहाल अभी तक योगी सरकार ने क्राइम कंट्रोल के लिए पूरे प्रदेश में धड़ल्ले से बुलडोजर का इस्तेमाल कर न सिर्फ इससे अराधियों में खौफ पैदा हुआ बल्कि यह यूपी सरकार की हनक का सिंबल पूरे देश के लिए नजीर बनता नजर आ रहा है।
लखनऊ। यूपी जल्द क्राइम कंट्रोल करने में नबंर वन बनने जा रहा है। इसके लिए योगी सरकार (Yogi Government) ने एक मास्टर प्लान पूरे प्रदेश में लागू करने के जोर शोर से तैयारी की है। फिलहाल अभी तक योगी सरकार (Yogi Government) ने क्राइम कंट्रोल के लिए पूरे प्रदेश में धड़ल्ले से बुलडोजर का इस्तेमाल कर न सिर्फ इससे अराधियों में खौफ पैदा हुआ बल्कि यह यूपी सरकार (UP Government)की हनक का सिंबल पूरे देश के लिए नजीर बनता नजर आ रहा है।
यूपी के बाद अब मध्य प्रदेश, दिल्ली, गुजरात समेत दूसरे राज्यों में भी बुलडोजर गरजने लगे हैं। इस बीच योगी सरकार (Yogi Government) ने अपराध पर लगाम के लिए एक और हथियार प्रयोग के तौर इस्तेमाल शुरू कर दिया है। यह है ‘फेस रिकग्निशन कैमरा’ (Face Recognition Camera) , जो सड़क पर निकलते ही अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचा देगा।
मिली जानकारी के अनुसार योगी सरकार (Yogi Government) ने एडवांस सर्विलांस सिस्टम (Advance Surveillance System) के तहत वाराणसी के चौक, चौराहों और गलियों में ये कैमरा लगवा दिए हैं, जिससे अपराधियों का बच पाना मुश्किल ही नामुमकिन है। बताया जा रहा है कि जल्द ही प्रदेश के दूसरे शहरों में भी इन कैमरों को लगवाया जाएगा। सरकार को उम्मीद है कि इससे अपराध को काफी हद तक काबू किया जा सकता है।
जानें कैसे काम करता है यह सिस्टम?
अब यदि कोई अपराधी वाराणसी में दाखिल होता है, तो वे फेस रिकग्निशन कैमरे से बच नहीं पाएगा। वाराणसी स्मार्ट सिटी (Varanasi Smart City) के मुख्य महाप्रबंधक डॉ. डी वासुदेवन (Chief General Manager Dr. D. Vasudevan) ने बताया कि पुलिस के सुझाव से वाराणसी में 16 लोकेशन पर 22 कैमरे लगाए गए हैं। ये कैमरे करीब 50 से 60 मीटर की दूरी से अपराधियों की पहचान कर लेता है। तुरंत ही काशी इंटीग्रेटेड कमांड कंट्रोल रूम (Kashi Integrated Command Control Room) के सिस्टम में बैठे एक्सपर्ट पुलिस कर्मियों को अलर्ट कर देता है।
फेस अलॉगर्थिम यानी डाटा बेस में मौजूद अपराधी की फोटो को कैमरे से कैप्चर करके पिक्चर से मिलान करेगा। उसकी विशेष पहचान कोडिंग और नाम से बता देगा। ये कैमरे अपराधियों की सालों पुरानी फोटो मास्क, हेलमेट या किसी भी प्रकार से ढके हुए चेहरों की भी पहचान कर लेते हैं। अपराधी अपना अपना हुलिया बदलेंगे तो भी कैमरे की नजर से नहीं बच पाएंगे।
लाखों की भीड़ में भी पहचानने में है सक्षम
वीडियो एनालिटिक्स के माध्यम से पूरे जिले के चप्पे -चप्पे पर नजर रखी जा रही है। लाखों की भीड़ में भी फेस रिकग्निशन सॉफ्टवेयर (Face Recognition Software) आपराधिक चेहरे को खोज निकालेगा। जो चेहरों की पहचान प्रतिशत में बता देगा। कैमरे पर मौसम की मार भी बे-असर है। लाइव फीड के अलावा ये सॉफ्टवेयर फोटो टू फोटो और फोटो टू वीडियो में भी अपराधी को सर्च कर सकता है।
डॉ. डी वासुदेवन ने बताया कि एडवांस सर्विलांस सिस्टम (Advance Surveillance System) के तहत 400 किलोमीटर तक ऑप्टिकल फाइबर बिछाया गया है। जिसमें 720 लोकेशन पर 183 अत्याधुनिक कैमरे लगाए गए हैं। जो यातायात अपराध जैसे कई तरह से उपयोग में लाए जा रहे हैं। इस प्रोजेक्ट में भारतीय, यूरोपियन और अमेरिकन टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया गया है।