हिन्दू एकता महाकुंभ में संघप्रमुख मोहन भागवत बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते कहा कि हम सबको सन्त समाज ने जो बात बताई है। उसका अनुसरण करना होगा। उन्होंने कहा कि कलयुग में एकता में ही शक्ति है। एकता स्वार्थ और भय से नहीं होती है।मोहन भागवत ने कहा कि मजबूरी में लोग एक हो जाते हैं ,लेकिन मजबूरी समाप्त होते ही एकता टूट जाती है। भागवत ने कहा कि हमको अगर पूरे समाज को एक करना है तो अहंकार को भूल कर मजबूरी में नहीं, प्रेम से एक होना होगा।
चित्रकूट। हिन्दू एकता महाकुंभ में संघप्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते कहा कि हम सबको सन्त समाज ने जो बात बताई है। उसका अनुसरण करना होगा। उन्होंने कहा कि कलयुग में एकता में ही शक्ति है। एकता स्वार्थ और भय से नहीं होती है।
मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने कहा कि मजबूरी में लोग एक हो जाते हैं ,लेकिन मजबूरी समाप्त होते ही एकता टूट जाती है। भागवत ने कहा कि हमको अगर पूरे समाज को एक करना है तो अहंकार को भूल कर मजबूरी में नहीं, प्रेम से एक होना होगा। उन्होंने कहा कि भगवान राम ने चित्रकूट में राक्षस विहीन करने की संकल्प लिया। राम ने नम्रता और निस्वार्थ भाव से काम किया । उन्होंने कहा कि राक्षसों से लड़ाई करते समय उनके मन मे भय नहीं था। इस अवसर पर उन्होंने प्रमुख समाजसेवी नाना जी को याद करते हुए कहा कि नाना जी ने अपने लिए नहीं अपनों के लिए काम किया।
संघ प्रमुख़ ने कार्यक्रम में पधारे सभी लोगों से संकल्प दोहराते हुए कहा कि, मैं हिन्दू संस्कृति का धर्मयोद्धा मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की संकल्प स्थली पर सर्वशक्तिमान परमेश्वर को साक्षी मानकर संकल्प लेता हूं, अपने पवित्र हिन्दू धर्म और समाज के सुरक्षा के लिए आजीवन काम करूंगा। उन्होंने कहा कि मैं प्रतिज्ञा करता हूं अपने हिन्दू धर्म से विमुख नहीं होने दूंगा, हिन्दू बहनों की सम्मान और शील की रक्षा के लिए सर्वस अर्पण करूंगा सहित कुल 12 संकल्प लिए।
कार्यक्रम के संयोजक रामभद्राचार्य (Rambhadracharya) जी ने अपने सम्बोधन में कहा कि जो हमारी माताओं बहन की तरफ आंख उठाएगा। उसकी हम आंख निकाल लेंगे वह हिन्दू है। उन्होंने कहा कि अहिंसा परमो धर्मा हम मानते, लेकिन अगर कोई हमारी मां बहनों को छेड़े तो हमें हिंसा परमोधर्मः अपनाना चाहिए। रामभद्राचार्य ने कहा कि जो अन्याय को नहीं सहता उसी को हिदू कहते हैं, हिमालय से लेकर इंदु सरोवर तक निवास करने वाला हिन्दू है।
उन्होंने मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) के बात एक पुराने बयान का समर्थन करते हुए कहा कि उन्होंने सही कहा था सबका डीएनए एक है। उन्होंने कहा कि अब हम मां बहन बेटियां पर अत्याचार नहीं करेंगे। अब क्रांति करेंगे और हम वैचारिक क्रांति पर विश्वास करते हैं। हिन्दू अपने अधिकार के लिये किसी से याचना नही करेगा। हम सब हिंदुओ को जोड़ेंगे । रामभद्राचार्य (Rambhadracharya) ने सरकार को धर्मांतरण पर सख्त कानून बनाने, सामान नागरिक संहिता, लव जिहाद सही प्रमुख मुद्दों पर सख्त कानून बनाने की मांग की।
(RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने हिन्दू धर्म छोड़ने वालों की घर वापसी का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि भय ज्यादा दिन तक बांध नहीं सकता है। अहंकार से एकता टूटती है। हम लोगों को जोड़ने के लिए काम करेंगे। महाकुंभ में शामिल हो रहे लोगों को उन्होंने इसका संकल्प भी दिलाया।
लोगों ने संकल्प लेते हुए RSS प्रमुख के साथ कहा कि मैं हिन्दू संस्कृति (Hindu culture) का धर्मयोद्धा मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम की संकल्प स्थली पर सर्वशक्तिमान परमेश्वर को साक्षी मानकर संकल्प लेता हूं कि मैं अपने पवित्र हिन्दू धर्म, हिन्दू संस्कृति और हिन्दू समाज के संरक्षण संवर्धन और सुरक्षा के लिए आजीवन कार्य करूंगा। मैं प्रतिज्ञा करता हूं कि किसी भी हिन्दू भाई को हिन्दू धर्म से विमुख नहीं होने दूंगा। जो भाई धर्म छोड़ कर चले गए हैं, उनकी भी घर वापसी के लिए कार्य करूंगा। उन्हें परिवार का हिस्सा बनाऊंगा। मैं प्रतिज्ञा करता हूं कि हिन्दू बहनों की अस्मिता, सम्मान व शील की रक्षा के लिए सर्वस्व अर्पण करूंगा। जाति, वर्ग, भाषा, पंथ के भेद से ऊपर उठ कर हिन्दू समाज को समरस सशक्त अभेद्य बनाने के लिए पूरी शक्ति से कार्य करूंगा।
हिन्दू महाकुंभ के 12 मुद्दे
ये मुद्दे हैं-राष्ट्रीय अस्मिता का प्रतीक श्रीराम मंदिर, देवस्थानों की परंपरा नष्ट कर रहा सरकारी नियंत्रण, धर्मांतरण की अंतर्राष्ट्रीय साजिश, देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून जरूरी, सामान नागरिकता का मिले अधिकार, लव जेहाद से युवा पीढ़ी में भटकाव, भारतीय दर्शन आधारित शिक्षा जरूरी, धर्म में व्यसन का त्याग हो अनिवार्य, गौरक्षा के हों ठोस प्रयास, मातृ शक्ति को सशक्त बनाना जरूरी, हिंदू धर्म के बारे में दुष्प्रचार बंद हो और पर्यावरण प्रदूषण पर रोक लगे।