लखनऊ की शान काही जाने वाली गोमती नदी जलकुंभी से पटी नजर आ रही है। जीवनदायनी गोमती नदी अपने हाल पर आंसू बहा रही है। लेकिन कोई भी उसकी सुध लेने वाला नहीं है
लखनऊ : जलीय जीवन के अस्तित्व पर मंडराते खतरे के रूप में जलकुम्भी एक प्रकार की खरपतवार है, जो जल में उत्पन्न होकर विभिन्न प्रजातियों के जीवन को संकट में डाल देती है। जिस प्रकार कृषि के दौरान अनचाहे व अनियंत्रित खरपतवारों से उपज की वृद्धि प्रभावित होती है, ठीक उसी प्रकार जलीय कुम्भी नदी के जल को कुपोषित करने के साथ साथ कईं जलचरों की सांस भी अवरुद्ध कर देती है। दरअसल लखनऊ की शान कही जाने वाली गोमती नदी जलकुंभी से पटी नजर आ रही है।
लखनऊ की जीवनदायनी गोमती नदी अपने हाल पर आंसू बहा रही है। लेकिन कोई भी उसकी सुध लेने वाला नहीं है। गोमती नदी में जगह-जगह जलकुम्भी उग आयी है। जिसने पूरी नदी को अपने कब्जे में लिया है। लेकिन प्रशासन द्वारा इसे साफ़ कराये जाने को लेकर कोई भी पहल नहीं की जा रही।
खबर के मुताबिक, दिसंबर 19 में एनजीटी की ओर से निर्देश दिए जाने के बाद नगर निगम की ओर से आनन-फानन में गोमती के तटों पर व्यापक सफाई अभियान चलाया गया था। निगम प्रशासन की ओर से सफाई अभियान में पूरी ताकत झोंक दी गई थी। अभियान के लिए छह टीमें बनाई गईं थीं साथ ही 94 व्हीकल लगाए गए थे जलकुंभी और वेस्ट को ले जाने के लिए।
सफाई अभियान के दौरान गोमती से करीब 170 ट्रक जलकुंभी निकाली गई थी। हनुमान सेतु की बात की जाए तो उस एरिया से करीब 20 ट्रक वेस्ट निकाला गया था। इस सफाई अभियान की रिपोर्ट एनजीटी के पास भी भेजी गई थी।
दिसंबर 19 के बाद से फरवरी 2021 तक जिम्मेदारों की ओर से कोई भी सफाई अभियान नहीं चलाया गया है। कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन पीरियड को हटा भी दें तो भी पिछले छह से सात महीने में एक बार भी सफाई अभियान नहीं चला है।