अगर अतीत में कोई एक भारतीय बल्लेबाज हुआ है, जिसने अपने क्रिकेट के खेल से भारतीय क्रिकेट का परिदृश्य बदल दिया है, तो इसमें कोई शक नहीं है कि वह महान सुनील गावस्कर होंगे। सुनील गावस्कर ने अपना और देश का नाम क्रिकेट की दुनिया में शीर्ष पर लाने में एक बड़ी भूमिका निभाई।
नई दिल्ली। अगर अतीत में कोई एक भारतीय बल्लेबाज हुआ है, जिसने अपने क्रिकेट के खेल से भारतीय क्रिकेट का परिदृश्य बदल दिया है, तो इसमें कोई शक नहीं है कि वह महान सुनील गावस्कर होंगे। सुनील गावस्कर ने अपना और देश का नाम क्रिकेट की दुनिया में शीर्ष पर लाने में एक बड़ी भूमिका निभाई। हालांकि, आज यानी 7 जून का दिन के लिए अच्छा नहीं रहा है, क्योंकि उनके नाम एक शर्मनाक पारी दर्ज है, जिसमें वे नाबाद भी रहे हैं।
दरअसल, आज से ठीक 46 साल पहले यानी 7 जून 1975 से एकदिवसीय क्रिकेट विश्व कप की शुरुआत हुई थी। इस टूर्नामेंट में भारत की टीम ने भी हिस्सा लिया और पहले ही मैच में टीम मेजबान इंग्लैंड से लंदन के लॉर्ड्स स्टेडियम में भिड़ी। इस मैच में इंग्लैंड ने 60 ओवर के खेल में डेनिस एमिस की 137 रन की पारी के दम पर 334 रन बनाए। इसके जवाब में भारत ने अपनी पारी की शुरुआत की तो सुनील गावस्कर और एकनाथ सोल्कर ओपनिंग के लिए उतरे।
दोनों ने बहुत ही धीमी शुरुआत भारत को दिलाई, लेकिन भारत को तेजतर्रार शुरुआत की जरूरत थी। भारत ने 60 ओवर में 3 विकेट खोकर कुल 132 रन बनाए, जिसमें सबसे बड़ी पारी 37 रन की थी। गुंडप्पा विश्वनाथ ने 59 गेंदों पर 37 रन बनाए थे। इस मुकाबले को भारतीय टीम 202 रन के अंतर से हार गई।
इस मैच में सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात ये रही कि सुनील गावस्कर ने 174 गेंद खेलने के बावजूद सिर्फ और सिर्फ 36 रन बनाए और वे पूरी पारी में आउट भी नहीं हुए। इस पारी में उन्होंने सिर्फ एक चौका जड़ा। उनका स्ट्राइकरेट 20.69 का रहा। ये आज तक के इतिहास की एकदिवसीय क्रिकेट की सबसे धीमी पारी रही।