HBE Ads
  1. हिन्दी समाचार
  2. एस्ट्रोलोजी
  3. चैत्र नवरात्रि में जानें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और महत्व

चैत्र नवरात्रि में जानें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और महत्व

चैत्र नवरात्रि सोमवार 13 अप्रैल मंगलवार से हो आरंभ हो रहा है। पूरे देश इस पर्व पर विशेष रूप से मां दुर्गा की आराधना की जाती है, जो नौ दिनों तक चलता है। इस नौ दिवसीय पर्व पर, दुनियाभर में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों का पूजन किया जाता है।

By शिव मौर्या 
Updated Date

लखनऊ। चैत्र नवरात्रि सोमवार 13 अप्रैल मंगलवार से हो आरंभ हो रहा है। पूरे देश इस पर्व पर विशेष रूप से मां दुर्गा की आराधना की जाती है, जो नौ दिनों तक चलता है। इस नौ दिवसीय पर्व पर, दुनियाभर में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों का पूजन किया जाता है।

पढ़ें :- 23 नवम्बर 2024 का राशिफल: शनिवार के दिन इन राशियों पर बरसेगी कृपा, जानिए कैसा रहेगा आपका दिन?

हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष 5 नवरात्रि आती हैं, जिनमें जहां चैत्र नवरात्रि और शरद नवरात्रि सबसे प्रमुख होती है, तो वहीं कई राज्यों में इन दोनों के अलावा क्रमशः पौष, आषाढ़ और माघ गुप्त नवरात्रि भी मनाई जाती हैं।

चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ 13 अप्रैल, मंगलवार से हो रहा है और इसकी समाप्ति 21 अप्रैल बुधवार, को नवमी तिथि के साथ होगी। नवरात्रि के प्रथम दिन घटस्थापना का महत्व होता है। इस दौरान शुभ मुहूर्त अनुसार भक्तजन पूरे विधि-विधान के साथ घटस्थापना करते हुए, मां शैलपुत्री की आराधना करते हैं। जानें घटस्थापना का शुभ मुहूर्त व इसकी विधि…

चैत्र नवरात्रि 2021 घटस्थापना मुहूर्त

तिथि :13 अप्रैल, मंगलवार
घटस्थापना मुहूर्त : 05:58:27 से 10:14:09 तक
अवधि : 4 घंटे 15 मिनट

पढ़ें :- 22 नवम्बर 2024 का राशिफल: इन राशि के लोगों को आज निवेश के लिए अच्छे अवसर मिलेंगे

नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना का महत्व

हिन्दू पंचांग अनुसार, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही चैत्र नवरात्रि का आरंभ होता है। इस दौरान घटस्थापना अथवा कलश स्थापना की परंपरा का विधान है, क्योंकि इसी कलश को शास्त्रों में भगवान गणेश की संज्ञा दी गई है। यही कारण है कि घटस्थापना पूजा शुभ मुहूर्त अनुसार, पूरे विधि-विधान के साथ ही संपन्न की जानी चाहिए।

नवरात्रि के प्रथम दिन होगी मां शैलपुत्री की उपासना

शास्त्रों की मानें तो, देवी शैलपुत्री को ही मां दुर्गा का प्रथम स्वरूप माना गया है। पर्वत राज हिमालय की पुत्री होने के कारण, मां के इस रूप का नाम शैलपुत्री पड़ा। उनका वाहन वृषभ होने के कारण, मांशैलपुत्री को देवी वृषारूढ़ा नाम से भी जाना जाता है। मां शैलपुत्री के रूप की बात करें तो, उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प सुशोभित होता है। इसके अलावा भारत के कई राज्यों में मां का ये रूप, सती नाम से भी विख्यात है।

पढ़ें :- Astro Tips : धन की समस्याओं को दूर करने के लिए जरूर करें ये उपाय , मां लक्ष्मी  की कृपा प्राप्त होगी
Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो करे...