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काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत का बड़ा दावा, कहा- ज्ञानवापी के भूतल में है एक और शिवलिंग

ज्ञानवापी मस्जिद मामले (Gyanvapi Masjid Case) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश के बाद सोमवार 23 मई से जिला अदालत में सुनवाई होगी। वाराणसी जिला अदालत में चार याचिकाएं हैं जिन पर सुनवाई होनी है। बता दें कि वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में सर्वे के बाद कई तरह के दावे किए जा रहे हैं। कोर्ट में पेश की गई सर्वे रिपोर्ट में ज्ञानवापी परिसर के अंदर कमल, नाग का फन और कई तरह के हिंदू निशान पाए जाने की भी बात कही गई है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

वाराणसी। ज्ञानवापी मस्जिद मामले (Gyanvapi Masjid Case) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश के बाद सोमवार 23 मई से जिला अदालत में सुनवाई होगी। वाराणसी जिला अदालत में चार याचिकाएं हैं जिन पर सुनवाई होनी है। बता दें कि वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में सर्वे के बाद कई तरह के दावे किए जा रहे हैं। कोर्ट में पेश की गई सर्वे रिपोर्ट में ज्ञानवापी परिसर के अंदर कमल, नाग का फन और कई तरह के हिंदू निशान पाए जाने की भी बात कही गई है। तो वहीं दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले की सुनवाई जिला जज करें। अब इस मामले में आगे की सुनवाई से पहले काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath temple) के महंत डॉ. कुलपति तिवारी (Mahant Dr. Kulpati Tiwari) ने बड़ा दावा कर दिया है। उनका कहना है कि मस्जिद के भूतल में एक और शिवलिंग है।

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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश के मुताबिक जिला जज को आठ सप्ताह में ज्ञानवापी विवाद पर फैसला सुनाना है। इसी बीच काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath temple) के महंत ने दावा किया है कि यहां एक और शिवलिंग है। उन्होंने 154 साल पुरानी तस्वीर दिखाते हुए कहा कि नंदी भगवान के पास लोग बैठते थे। इसके पास ही एक दरवाजा था जहां शिवलिंग है। यह भूतल में है।

काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत डॉ. कुलपति तिवारी (Mahant Dr. Kulpati Tiwari) ने मांग की है कि शिवलिंग की पूजा पाठ की इजाजत मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि महंत का दायित्व है कि शिवलिंग की पूजा करें। मैं दावे के साथ कहता हूं कि वहां नीचे शिवलिंग है। नीचे के शिवलिंग का पूजा पाठ 1992 से बंद है उसे शुरू करना चाहिए। मैं यह नहीं कहता कि श्रद्धालुओं को जाने की इजाजत मिले, लेकिन हमें पूजा कि परमीशन मिलना चाहिए जिसके लिए मैं याचिका दाखिल कर रहा हूं।

इस मामले में बनारस के मुफ्ती अब्दुला बातिन नोमानी ने कहा कि यह शिवलिंग नहीं फव्वारा है। फव्वारा ही था और यह इस्तेमाल में आता था। आज भी उस फव्वारे को चलते हुए देखने वाले लोग मौजूद हैं। वे गवाही दे सकते हैं।

तो वहीं इस सर्वे में शामिल फोटोग्राफर ने भी कहा कि जो कुआं था वह वजूखाने में डूबा हुआ था। ऐसे में वह फव्वारा कैसा हो सकता है? ऐसा कौन सा फव्वारा होगा जो एक फीट से ज्यादा पानी में डूबा और और फिर पानी ऊपर फेंक सके।

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