लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 वर्ष करने से वाकई लैंगिक समानता के लिए अहम कदम है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जो कहते हैं, वह करते हैं, यह बात उन्होंने के 21 वर्ष की उम्र में शादी करने से उनको अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए अच्छा मौका मिलेगा। इसके साथ ही मातृ मृत्युदर में भी कमी आएगी। ये बातें उत्तर प्रदेश सरकार में बाल विकास एवं महिला कल्याण मंत्री स्वाती सिंह ने कही।
लखनऊ । लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 वर्ष करने से वाकई लैंगिक समानता के लिए अहम कदम है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जो कहते हैं, वह करते हैं, यह बात उन्होंने के 21 वर्ष की उम्र में शादी करने से उनको अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए अच्छा मौका मिलेगा। इसके साथ ही मातृ मृत्युदर में भी कमी आएगी। ये बातें उत्तर प्रदेश सरकार में बाल विकास एवं महिला कल्याण मंत्री स्वाती सिंह (Child Development and Women Welfare Minister Swati Singh) ने कही।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हर कदम पर आधी आबादी की प्रगति की बात सोचते रहते हैं। इसी के तहत उन्होंने तीन तलाक पर कानून लाकर मुस्लिम महिलाओं को अधिकार दिया। इससे वे भी आज अपने हक की बात करने लगी हैं। लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने पर सर्व प्रथम बच्चियों में समानता का बोध होगा, क्योंकि लड़कों के शादी की उम्र पहले से ही 21 वर्ष है।
स्वाती सिंह ने कहा कि 2018 में ही राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission) ने दोनों की शादी की न्यूनतम उम्र एक समान करने की सिफारिश की थी। इसके लिए कई महिला संगठन भी सिफारिश कर चुके हैं। लड़कियों के शादी की न्यूनतम उम्र कम होने से उनके उच्च शिक्षा में भी बाधक बनता है। इस नये कानून के बन जाने से लड़कियों की अच्छी शिक्षा भी मिलने की दर बढ़ जाएगी। उन्होंने कहा कि 18 की उम्र में तो बच्चे अभी उच्च शिक्षा की ओर बढ़ रहे होते हैं। परिवार के गार्जियन इसी उम्र में शादी की सोचने लगते हैं। इससे अधिकांश बच्चियों की उच्च शिक्षा का सपना अधुरा रह जाता है।
स्वाती सिंह ने कहा कि यह महिलाओं के विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगा। इससे उनके विकास का रास्ता प्रशस्त होगा। समानता के बोध के साथ ही उनके आर्थिक विकास में भी बांधाओं को दूर करेगा।