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मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने गंगा के पानी की गुणवत्ता पर उठाए सवाल, बोले- मैं कभी इसमें नहीं लगाऊंगा डुबकी

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS ) के अध्यक्ष राज ठाकरे (Raj Thackeray) ने गंगा नदी के पानी की गुणवत्ता (Quality of Ganga river water) पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि मैं कभी भी नदी में पवित्र डुबकी नहीं लगाऊंगा। लोगों से मेरा कहना है कि वे अंधविश्वास से बाहर आएं और दिमाग का सही इस्तेमाल करें।

By संतोष सिंह 
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मुंबई। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS ) के अध्यक्ष राज ठाकरे (Raj Thackeray) ने गंगा नदी के पानी की गुणवत्ता (Quality of Ganga river water) पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि मैं कभी भी नदी में पवित्र डुबकी नहीं लगाऊंगा। लोगों से मेरा कहना है कि वे अंधविश्वास से बाहर आएं और दिमाग का सही इस्तेमाल करें।

पढ़ें :- Video : औरंगजेब कब्र विवाद पर राज ठाकरे, बोले-इतिहास व्हाट्सएप पर नहीं, किताबों से पढ़ें, 'फिल्म देखकर जागृत हुए हिंदू बेकार'

कौन जाकर उस गंगा में पवित्र डुबकी लगाएगा?

मनसे के स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में राज ठाकरे ने कहा कि हमारी पार्टी के नेता बाला नंदगांवकर प्रयागराज में  हुए महाकुंभ से पवित्र जल लेकर आए थे। लेकिन मैंने इसे पीने से इनकार कर दिया। मैंने उनसे कहा चले जाओ। मैं नहाने नहीं जा रहा हूं। वह पानी कौन पीएगा? कोविड अभी-अभी गुजरा है और लोग दो साल से चेहरे पर मास्क लगाकर घूम रहे थे। अब वे वहां जा रहे हैं और स्नान कर रहे हैं। कौन जाकर उस गंगा में पवित्र डुबकी लगाएगा?

ठाकरे ने कहा कि मैंने लोगों के शरीर को रगड़ते हुए और गंगा में नहाते हुए वीडियो देखे हैं। देश की हर नदी प्रदूषित है, जबकि विदेशों में ऐसी नदियां पूरे साल साफ रहती हैं। आस्था का भी कुछ मतलब होना चाहिए। देश में एक भी नदी साफ नहीं है, लेकिन हम उसे मां कहते हैं। विदेशों में नदी को मां नहीं कहा जाता, लेकिन वह बिल्कुल साफ रहती है और हमारी सभी नदियां प्रदूषित हैं। कोई उसमें नहा रहा है, कोई कपड़े धो रहा है।

उन्होंने कहा कि मैं पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के समय से ही सुनता आ रहा हूं कि गंगा नदी को साफ किया जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। लोगों को इस आस्था और अंधविश्वास से बाहर आना चाहिए और अपने दिमाग का सही इस्तेमाल करना चाहिए।

सीपीसीबी ने 3 फरवरी को सौंपी थी रिपोर्ट

हाल ही में सीपीसीबी (CPCB) ने महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में गंगा की वास्तविक स्थिति को लेकर तैयार रिपोर्ट की थी। 3 फरवरी को एनजीटी में सौंपी अपनी रिपोर्ट में सीपीसीबी (CPCB) ने कहा था कि संगम का पानी नहाने योग्य नहीं है। टीम ने पाया कि फीकल कोलीफोर्म 230 एमपीएन/100 मिलीग्राम के लिए निर्धारित मानदंडों के अनुसार गैर-अनुपालन मिले।

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