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Modi Cabinet : मोदी कैबिनेट ने अन्न भंडारण योजना को दी मंजूरी, हर ब्लॉक में बनेंगे गोदाम

केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) ने देशभर में अन्न के भंडारण की योजना (Food Storage Scheme) को मंजूरी दे दी है। अब तक पूरे देश में 14 50 लाख टन अनाज का भंडारण होता था, लेकिन अब सरकार की मंजूरी के बाद देश भर में करीब 700 लाख टन F किया जा सकेगा।

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली । केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) ने देशभर में अन्न के भंडारण की योजना (Food Storage Scheme) को मंजूरी दे दी है। अब तक पूरे देश में 14 50 लाख टन अनाज का भंडारण होता था, लेकिन अब सरकार की मंजूरी के बाद देश भर में करीब 700 लाख टन F किया जा सकेगा।

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केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर (Union Minister Anurag Thakur) ने कैबिनेट के फैसले के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि मोदी सरकार (Modi Government)  ने कॉपरेटिव क्षेत्र (Cooperative Sector) में दुनिया की सबसे बड़ी भंडारण योजना (Food Storage Scheme) को मंजूरी दे दी है। केद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर (Anurag Thakur) ने बताया कि अब तक देश में 1450 लाख टन अनाज का ही भंडारण हो सकता था, लेकिन इसकी क्षमता 700 लाख टन तक हो जायेगी। इसके लिए हर ब्लॉक में भंडारण के लिए गोदाम बनाये जायेंगे। इसके लिए सरकार एक लाख करोड़ करीब करोड़ की लागत लगायेगी।

बता दें कि इस समय भारत विश्व के सबसे बड़े अनाज उत्पादक देशों मे से एक है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सभी बड़े उत्पादक देश जैसे अमेरिका, चीन, ब्राजील, अर्जेंटिना रूस, आदि के पास अपने वार्षिक उत्पादन से अधिक की क्षमता उपलब्ध है।

अभी केवल 47 फीसदी भंडारण की क्षमता

अनुराग ठाकुर ने कहा कि भारत विश्व में अनाज के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सभी बड़े उत्पादक देशों जैसे चीन, अमेरिका, ब्राजील, रूस, अर्जेंटीना आदि के पास अपने वार्षिक उत्पादन से अधिक की भंडारण क्षमता उपलब्ध है, लेकिन भारत में अन्न के भंडारण की क्षमता, वार्षिक उत्पादन का केवल 47 फीसदी है। परिणामस्वरूप अनाज की बर्बादी होती है और किसानों को डिस्ट्रेस सेल करनी पड़ती है।

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उन्होंने कहा कि देश में सालाना करीब 3,100 लाख टन खाद्यान्न का उत्पादन होता है। इस कदम का उद्देश्य भंडारण सुविधाओं की कमी से अनाज को होने वाले नुकसान से बचाना, किसानों को संकट के समय अपनी उपज औने-पौने दाम पर बेचने से रोकना, आयात पर निर्भरता कम करना और गांवों में रोजगार के अवसर सृजित करना है. अधिक भंडारण क्षमता से किसानों के लिए परिवहन लागत कम होगी और खाद्य सुरक्षा मजबूत होगी।

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