ये शक्ति का प्रतीक माना जाता है। काला चना शुद्ध और सात्विक भोजन माना जाता है।इसलिए देवी को भोग के रुप में अर्पित किया जाता है। नवरात्रि में देवी मां से शक्ति प्राप्त करने की कामना के लिए इसका सेवन किया जाता है।
Navratri specials: चाहे घर हो या फिर माता का जागरण अक्सर आपने देखा हो प्रसाद में हलवा और काला चने का भोग जरुर लगाया जाता है। इतना ही नहीं कन्या पूजन में पूड़ी हलवा और काला चना कन्याओं को खिलाया जाता है। क्या आप जानते हैं नवरात्रि (Navratri) में माता को काले चने का भोग और प्रसाद आदि को चढ़ाया जाता है।
काला चना आयरन से भरपूर होता है…
तो चलिए फिर बताते है इसके पीछे की मान्यता। कन्या पूजन में काले चने का प्रसाद दिया जाता है। ये शक्ति का प्रतीक माना जाता है। काला चना शुद्ध और सात्विक भोजन माना जाता है।इसलिए देवी को भोग के रुप में अर्पित किया जाता है। नवरात्रि (Navratri) में देवी मां से शक्ति प्राप्त करने की कामना के लिए इसका सेवन किया जाता है।
काला चना आयरन से भरपूर होता है
काले चने में आयरन, प्रोटीन, फाइबर होता है जो भूख कम करता और व्रत के दौरान एनर्जी देता है। काला चना हेल्थ के लिए बेहद फायदेमंद होता है। नवरात्रि (Navratri) के दौरान व्रत रखने से कमजोरी आती है काले चने से ऊर्जा मिलती है। काला चना आयरन से भरपूर होता है। जो एनीमिया जैसी समस्याओं से लड़ने में हेल्प करता है।
ज्योतिष के अनुसार, गुरु बृहस्पति सबसे अधिक वयोवृद्ध एवं सभी नक्षत्रों द्वारा पूजनीय है। पूजा-पाठ, भक्ति में यदि इनकी अनुकंपा मिल जाए तो व्यवसाय संबंधी, स्वास्थ्य संबंधी, लाभ होने की संपूर्ण आशाएं बलवती हो जाती हैं एवं गृह क्लेश भी शांत होने लगते हैं और घर सदस्यों के सभी को सद्बुद्धि प्राप्त होते हुए सफलता के क्षेत्र प्रशस्त हो जाते हैं और जितने भी वक्री और पीड़ादायक ग्रह हैं वह सब बृहस्पति की दृष्टि पड़ने से शांत हो जाते हैं और अपनी क्रूर दृष्टि के कारण पीड़ा नहीं दे पाते, इसलिए भी चने का प्रसाद अनिवार्य किया गया है। हर दृष्टि हर प्रकार की सोच के अनुसार ऋषियों ने उचित रूप से ऐसे भोग की व्यस्था की। जब तक चने के साथ हलुवा न हो, भोग अधूरा है।