भारतीय राजनीति जातियों के बगैर अधूरी है, ऐसा कहना तो कुछ गलत नहीं होगा। चाहे बात चुनाव की हो या चुनाव के बाद के भाषणों की। नेताओं के भाषण में हर जगह जातियों का जिक्र जरूर ही आता है, लेकिन अब इसी जाति की राजनीति को लेकर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) का बड़ा बयान सामने आया है।
नई दिल्ली। भारतीय राजनीति जातियों के बगैर अधूरी है, ऐसा कहना तो कुछ गलत नहीं होगा। चाहे बात चुनाव की हो या चुनाव के बाद के भाषणों की। नेताओं के भाषण में हर जगह जातियों का जिक्र जरूर ही आता है, लेकिन अब इसी जाति की राजनीति को लेकर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा कि महाराष्ट्र में इस समय सिर्फ जाति की राजनीति हो रही है। नितिन गडकरी ने कहा कि मैं अगर अपनी बात कहूं तो मैं किसी जात-पात को नहीं मानता, जो मेरे सामने जात-पात की बात करेगा, मैं उसे लात मारूंगा।
नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने कहा कि मेरे निर्वाचन क्षेत्र में 40 फीसदी मुस्लिम आबादी है, लेकिन चुनाव के समय जब मैं अपने क्षेत्र में गया तो मैंने वहां के लोगों से पहले ही कह दिया कि मैं आरएसएस (RSS) वाला हूं, मैं हाफ पैंट वाला भी हूं, ऐसे में वोट देने से पहले सोच लो कहीं बाद में पछताना ना पड़े। ऐसा है जो मुझे वोट देगा मैं उसका भी काम करूंगा और जो मुझे वोट नहीं देगा मैं तो उसका भी काम करूंगा।
बता दें कि नितिन गडकरी अपने बेबाक बयान के लिए अक्सर सुर्खियों में रहते हैं। बिना लाग लपेट के अपनी बात रखते हैं। नितिन गडकरी कई मौकों पर ऐसे बयान दे चुके हैं, जिससे लगता है कि वह नरेंद्र मोदी और अमित शाह के लिए बोल रहे हैं। उन्होंने कहा था कि पार्टी चाहे किसी की सरकार की हो, एक चीज तय है। जो अच्छा काम करता है, उसे सम्मान नहीं मिलता और बुरा काम करने वालों को सजा नहीं मिलती। 2019 में भी उनका एक बयान सुर्खियों में आया था, जब उन्होंने कहा था कि सपने दिखाने वाले नेता अच्छे लगते हैं मगर जब सपने पूरे नहीं होते तो जनता उनको पीटती भी है। लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने कहा था कि वह चुनाव में पोस्टर नहीं लगाएंगे और खर्चा-पानी के लिए पैसा भी खर्च नहीं करेंगे। जिसको वोट देना है, वोट दे। जिसे नहीं देना है, नहीं दे। मगर जब जीतेंगे तो काम सबका करेंगे।
ओबीसी और मराठा राजनीति में उलझा रहा महाराष्ट्र
बता दें कि अभी महाराष्ट्र में जातीय राजनीति उभार पर है। सभी राजनीतिक दल मराठा और ओबीसी वोटरों को गोलबंद करने में जुटे हैं। बीजेपी ने भी विधानपरिषद चुनाव में ओबीसी पर भरोसा किया। उसने इस चुनाव में जो पांच कैंडिडेट उतारे हैं, वह सभी अति पिछड़ी जाति से आते हैं। जबकि एनसीपी (शरद चंद्र पवार) और शिवसेना (UTB) मराठा वोटरों पर फोकस कर रही है। इन दिनों में राज्य में मराठा आरक्षण को लेकर भी बहस चल रही है। मराठों के आरक्षण देने का ओबीसी नेता विरोध कर रहे हैं। महाविकास अघाड़ी खासकर शिवसेना (UTB) खुलकर मराठा आरक्षण की वकालत कर रही है, जबकि एनसीपी के ओबीसी नेता इसका विरोध कर रहे हैं।
महाराष्ट्र विधानसभा के इस साल होने हैं चुनाव
महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल इस साल 26 नवंबर को खत्म हो जाएगा। अक्टूबर-नवंबर में यहां की 288 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव होंगे। पिछले चुनाव में बीजेपी को 105, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली थीं। हालांकि, चुनाव के बाद शिवसेना एनडीए से अलग हो गई और उसने एनसीपी-कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना ली। शिवसेना के उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने।
जून 2022 में शिवसेना में आंतरिक कलह हो गई। इसके बाद एकनाथ शिंदे ने पार्टी के 40 विधायकों को तोड़ दिया। एकनाथ शिंदे बीजेपी के समर्थन से मुख्यमंत्री बन गए। अब शिवसेना दो गुटों में बंट चुकी है। शरद पवार की एनसीपी भी दो गुट- शरद पवार और अजित पवार में बंट गई है। शरद पवार ने हाल में दावा किया है कि महाराष्ट्र में इस साल चुनाव में महाविकास अघाड़ी (एनसीपी (एसपी)+ कांग्रेस+ शिवेसना (ठाकरे गुट)) 225 सीटें जीतेगी।