बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मंगलवार को एक बार फिर अपने ने पद से इस्तीफा दे दिया है। इसके साथ ही नई सरकार का दावा करते हुए मंगलवार प्रदेश के राज्यपाल फागू चौहान को 164 विधायकों का समर्थन पत्र सौंपा है। बता दें कि इससे पहले सुबह जेडीयू विधायकों और सांसदों की बैठक के बाद नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़ने का ऐलान किया ।
नई दिल्ली। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मंगलवार को एक बार फिर अपने ने पद से इस्तीफा दे दिया है। इसके साथ ही नई सरकार का दावा करते हुए मंगलवार प्रदेश के राज्यपाल फागू चौहान को 164 विधायकों का समर्थन पत्र सौंपा है। बता दें कि इससे पहले सुबह जेडीयू विधायकों और सांसदों की बैठक के बाद नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़ने का ऐलान किया ।
उम्मीद की जा रही है कि नीतीश कुमार बुधवार को आठवी बार बिहार में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। नीतीश कुमार 1974 के बिहार छात्र आंदोलन के दौर से बिहार की राजनीति में सक्रिय हैं। 1990 में लालू प्रसाद को मुख्यमंत्री बनाने में भी उनकी अहम भूमिका रही थी। बाद के समय में लालू प्रसाद के साथ उनके रिश्ते बिगड़ गए और उन्होंने जॉर्ज फर्नांडिस के साथ समता पार्टी का गठन किया, जिसके बाद 1996 के लोकसभा चुनाव से पहले वो एनडीए में शामिल हो गए। समय के साथ नीतीश कुमार केंद्र में रेलमंत्री बने और बाद में पहली बार साल 2000 में उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। हालांकि बहुमत साबित नहीं कर पाए। जानें उनके राजनीतिक जीवन का अब तक का सफर…
1985 में पहली बार बने विधायक: 1977 और 1980 के विधानसभा चुनावों में हार के बाद नीतीश कुमार पहली बार साल 1985 में हरनौत विधानसभा सीट से विधायक बने थे।
1989 में पहली बार बने सांसद: नीतीश कुमार पहली बार साल 1989 में बिहार के बाढ़ संसदीय क्षेत्र से सांसद बने बाद में 1991,1996,1998 और 1999 के लोकसभा चुनावों में भी उन्होंने जीत दर्ज की।
केंद्र सरकार में बने मंत्री : साल 1998 में नीतीश कुमार केंद्र में रेलमंत्री बने, 1999 में कृषि मंत्री बने. इस दौरान ही साल 2000 में उन्हें एनडीए की तरफ से बिहार में सीएम बनाया गया हालांकि वो बहुमत साबित नहीं कर पाए।
2005 में राजद सरकार को हटा बन गए सीएम : साल 2005 में हुए मध्यावधि चुनाव में नीतीश कुमार पहली बार बहुमत के साथ मुख्यमंत्री बने हालांकि मुख्यमंत्री के तौर पर यह उनका दूसरी बार शपथ था।
2010 में मिली बड़ी जीत: नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए को साल 2010 के विधानसभा चुनाव में बडी़ जीत मिली। 243 सदस्यों के विधानसभा में एनडीए गठबंधन को 206 सीटों पर जीत मिली। जदयू को अकेले 115 सीटों पर सफलता मिली।
साल 2013 में पहली बार एनडीए से हुए अलग: बीजेपी द्वारा नरेंद्र मोदी को पीएम पद का उम्मीदवार बनाए जाने से नाराज हो कर नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी को एनडीए से अलग कर लिया।
2015 में लिया चौथी बार सीएम पद का शपथ: 2014 के लोकसभा चुनाव में पराजय के बाद नीतीश कुमार ने सीएम पद छोड़ दिया था। लेकिन बाद में जीतन राम मांझी के साथ विवाद के कारण उन्होंने 2015 मे एक बार फिर कमान अपने हाथ में ले ली।
2015 के विधानसभा चुनाव में जीत के बाद पांचवी बार लिया शपथ : 2015 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के नेतृत्व में राजद, कांग्रेस और जदयू गठबंधन को एक बड़ी जीत मिली। जिसके बाद नीतीश कुमार ने पांचवी बार सीएम पद का शपथ लिया।
2017 में महागठबंधन से हो गए अलग: लालू परिवार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद नीतीश कुमार ने पद से इस्तीफा दे दिया और तुरंत बाद बीजेपी के समर्थन से छठी बार उन्होंने सीएम पद का शपथ लिया।
2020 के चुनाव में जीत के बाद सातवीं बार बने सीएम : साल 2020 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी को महज 43 सीटों पर जीत मिली, लेकिन बीजेपी गठबंधन को इस चुनाव में भी बहुमत का आंकड़ा प्राप्त हो गया। बीजेपी ने नीतीश कुमार में आस्था जताते हुए नीतीश कुमार को सीएम बनाया और नीतीश ने सातवीं बार सीएम पद की शपथ ली।
9 अगस्त 2022 को एनडीए से हो गए अलग: बीजेपी पर जदयू को तोड़ने का प्रयास करने का आरोप लगाते हुए नीतीश कुमार ने एनडीए से नाता तोड़ लिया और उन्होंने मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया।