सनातन धर्म में पूर्वजों की आत्मा के शान्ति के लिए पितृ पक्ष में पिंडदान, तर्पण करने की परंपरा है। भारतीय संस्कृति में इसका विशेष महत्व है।
Pitru Paksha 2024 : सनातन धर्म में पूर्वजों की आत्मा के शान्ति के लिए पितृ पक्ष में पिंडदान, तर्पण करने की परंपरा है। भारतीय संस्कृति में इसका विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल कि भाद्रपद मास की पूर्णिमा से लेकर आश्वयुज माह की अमावस्या तक होती है। इस साल यानी 2024 में पितृ पक्ष की शुरुआत 17 सितंबर से हो रही है और इसकी समाप्ति 2 अक्टूबर को होगी।मान्यता है कि इस दौरान पितरों का श्राद्ध करने से जन्म कुंडली में व्याप्त पितृ दोष से भी छुटकारा पाया जा सकता है। पितरों की पूजा के लिए दोपहर का समय होता है। वहीं पितरों की पूजा के लिए सबसे उत्तम समय 11:30 से 12:30 बजे तक बताया जाता है।
दान
ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान किए गए अनुष्ठानों से दिवंगत आत्माओं को शांति मिलती है और वे बदले में उस व्यक्ति और उसके परिवार को आशीर्वाद देते हैं जो ये अनुष्ठान करते हैं। इन पारंपरिक अनुष्ठानों के साथ-साथ इस अवधि के दौरान भोजन के रूप में दान देना भी पुण्य का काम माना जाता है। पितृपक्ष के दौरान काले तिल का दान मुख्य रूप से करना चाहिए। सफेद तिल का दान भी शुभ है, लेकिन काले तिल श्रेष्ठ माने जाते हैं।
इन कार्यों से बचें
पितृ पक्ष के दौरान तामसिक भोजन के सेवन से परहेज करना चाहिए।
पितृ पक्ष के दौरान नए व्यापार, महत्वपूर्ण निर्णय या महत्वपूर्ण काम शुरू करने से बचना चाहिए।
पितृ पक्ष के दौरान विवाह, यज्ञ, या अन्य बड़े उत्सव जैसे शुभ कार्य नहीं करने चाहिए, क्योंकि यह समय इन कार्यों के लिए नहीं माना जाता है।