HBE Ads
  1. हिन्दी समाचार
  2. दिल्ली
  3. पाकिस्तान में बड़े बदलाव की तैयारी, पीएम इमरान खान के फैसले पर भड़की जनता

पाकिस्तान में बड़े बदलाव की तैयारी, पीएम इमरान खान के फैसले पर भड़की जनता

पाकिस्तान सरकार आर्थिक तंगी और कोरोना महामारी से जूझ रही है। इसी बीच पूरे देश में एक समान शिक्षा प्रणाली लागू करने की तैयारी में है। इमरान सरकार के इस फैसले से स्कूलों और विश्वविद्यालयों का इस्लामीकरण बढ़ने की आशंका बढ़ गई है। इमरान सरकार पहले चरण में प्राइमरी स्कूलों में पहली से पांचवीं कक्षा तक के छात्रों को शामिल किया गया है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। पाकिस्तान सरकार आर्थिक तंगी और कोरोना महामारी से जूझ रही है। इसी बीच पूरे देश में एक समान शिक्षा प्रणाली लागू करने की तैयारी में है। इमरान सरकार के इस फैसले से स्कूलों और विश्वविद्यालयों का इस्लामीकरण बढ़ने की आशंका बढ़ गई है। इमरान सरकार पहले चरण में प्राइमरी स्कूलों में पहली से पांचवीं कक्षा तक के छात्रों को शामिल किया गया है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान की इस योजना के तहत कुरान का अनुवाद पढ़ना, नमाज और हदीस (पैगंबर मोहम्मद के उपदेश और काम) को सीखना अनिवार्य किए जाने की योजना है।

पढ़ें :- Axar Patel DC New Captain: आईपीएल 2025 से पहले दिल्ली कैपिटल्स के कप्तान बनें अक्षर पटेल

इमरान सरकार के शिक्षा प्रणाली में इस बदलाव के तहत यह भी सुनिश्चित किया जाना है कि प्रत्येक स्कूल और कॉलेज को इन विषयों को पढ़ाने के लिए हाफिज (कुरान को कंठस्थ करने वाला व्यक्ति) और कारी (कुरान पढ़ने वाला) की नियुक्त करनी है। इमरान सरकार के इस फैसले पर आलोचकों का मानना है कि नई शिक्षा प्रणाली से पाकिस्तान में इस्लामिक मौलवियों का प्रभाव और सांप्रदायिकता बढ़ेगी, जिससे सामाजिक ताने-बाने को बहुत नुकसान होगा।

कुरान के 30 चैप्टर पढ़ने जरूरी होंगे 

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस्लामाबाद में अकादमिक क्षेत्र से जुड़े अब्दुल हमीद नैय्यर ने बताया कि नई शिक्षा प्रणाली के तहत उर्दू, अंग्रेजी और सामाजिक विज्ञान का भारी इस्लामीकरण किया गया है। उन्होंने बताया कि इस्लामिक अध्ययन के अलावा छात्रों को कुरान के 30 चैप्टर पढ़ने जरूरी होंगे। बाद में उन्हें यह पूरी किताब भी पढ़नी होगीं अब्दुल हमीद नैय्यर ने बताया कि आलोचनात्मक सोच आधुनिक ज्ञान का मूल सिद्धांत है, लेकिन सरकार पाठ्यक्रम के माध्यम से ऐसे विचारों को बढ़ावा दे रही है, जो इसके विपरीत हैं।

इस्लामी ताकतों के आगे झुका पाकिस्तान

पढ़ें :- UP Police Constable Final Result 2025 : यूपी पुलिस कांस्टेबल के 60244 पदों पर भर्तियों का फाइनल रिजल्ट घोषित, देखें लिस्ट

बता दें कि वर्ष 1947 में पाकिस्तान के निर्माण के बाद से सरकार और इस्लामी रूढ़िवादियों के बीच सांठगांठ हो रही है। वर्ष 1950 और 60 दशक में पाकिस्तान में इस्लामीकरण की प्रक्रिया धीरे-धीरे शुरू हुई, लेकिन 1970 के दशक में जनरल जिया-उल-हक की तानाशाही के दौर में यह प्रक्रिया और तेज हो गई। वहीं 1980 के दशक में इसने रफ्तार पकड़ी।

बता दें कि जिया-उल-हक ने संविधान के ढांचे को बदलने के लिए एक जोरदार अभियान चलाया था। उन्होंने इस्लामिक कानून भी पेश किए, शैक्षिक पाठ्यक्रमों का इस्लामीकरण किया, देश भर में हजारों धार्मिक मदरसे खोले, इस्लामवादियों को न्यायपालिका, नौकरशाही और सेना में शामिल किया और सरकारी मामलों की देखरेख के लिए मौलवियों की अध्यक्षता में संस्थान बनाए। वर्ष 1988 में उनकी मृत्यु के बाद से लगभग सभी सरकारों ने इस्लामीकरण के माध्यम से धार्मिक ताकतों को खुश रखने की कोशिश की है।

आधुनिक शिक्षा का वादा कर थमाई जा रही है कुरान

पाकिस्तान की मौजूदा इमरान खान सरकार पर भी इस्लामिक कट्टरपंथियों के आगे घुटने टेकने के आरोप लग रहे हैं। स्कूलों का मदरसाकरण किया जा रहा है। वर्ष 2018 में इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी ने एक समान शिक्षा प्रणाली शुरू करने का वादा किया था। कई लोगों को उम्मीद थी कि नए पाठ्यक्रम में विज्ञान, कला, साहित्य और अन्य समकालीन विषयों पर जोर होगा।

इमरान खान की सरकार ने वर्ष 2019 में शिक्षा को लेकर अपनी एक योजना के बारे में बताया। इसमें इस्लामीकृत पाठ्यक्रम पर बहुत अधिक ध्यान दिया गया है। बता दें कि कोरोना वायरस महामारी के कारण नई शिक्षा नीति के कार्यान्वयन में देरी हुई ,लेकिन अब इसे इस साल शुरू होने की उम्मीद है।

पढ़ें :- हमने खेल को बचाने के लिए संघर्ष किया , लेकिन सरकार ने फिर से खेल को बृजभूषण के हवाले कर दिया : विनेश फोगाट

Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो करे...