कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट पर रूस की वैक्सीन स्पूतनिक V अन्य किसी अन्य वैक्सीन की तुलना में अधिक प्रभावी है। वैक्सीन निर्माता कंपनी ने मंगलवार को यह दावा किया है। कंपनी ने बताया कि इंटरनेशनल पीयर-रीव्यूड जर्नल में प्रकाशित करने के लिए भेजे गए गामालेया सेंटर स्टडी के अध्ययन में यह बात सामने आई है।
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट पर रूस की वैक्सीन स्पूतनिक V अन्य किसी अन्य वैक्सीन की तुलना में अधिक प्रभावी है। वैक्सीन निर्माता कंपनी ने मंगलवार को यह दावा किया है। कंपनी ने बताया कि इंटरनेशनल पीयर-रीव्यूड जर्नल में प्रकाशित करने के लिए भेजे गए गामालेया सेंटर स्टडी के अध्ययन में यह बात सामने आई है।
बता दें डेल्टा वेरिएंट (बी.1.617.2) का पहला मामला भारत में ही दर्ज किया गया था। स्पूतनिक V का निर्माण भारत में डॉ. रेड्डीज लेबोरेटरी द्वारा किया जा रहा है। यह 18 मई से देश में वैक्सीन ड्राइव का संचालन करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले ऐप कोविन पर चुनिंदा शहरों में उपलब्ध है।
स्पूतनिक V रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष (आरडीआईएफ) और गामालेया संस्थान को भारत में आपातकालीन उपयोग के लिए मंजूरी दिए जाने के बाद देश के टीकाकरण अभियान में सीरम इंस्टीट्यूट के कोविशील्ड और भारत बायोटेक कोवैक्सिन के अलावा तीसरे टीके और पहले विदेशी विकल्प के तौर पर सामने आई।
वायरस के डेल्टा स्वरूप से बचा सकते हैं फाइजर, एस्ट्राजेनेका के टीके
बता दें इस खबर के एक दिन पहले ही यह खबर सामने आई थी कि फाइजर, एस्ट्राजेनेका के टीके वायरस के डेल्टा स्वरूप से बचा सकते हैं। लांसेट पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में यह बात कही गई थी। सबसे पहले भारत में चिह्नित किए गए कोरोना वायरस के डेल्टा स्वरूप के सबसे पहले ब्रिटेन में सामने आये अल्फा स्वरूप की तुलना में गंभीर संक्रमण का खतरा अधिक है।
पब्लिक हेल्थ स्कॉटलैंड और यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग, ब्रिटेन के अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि फाइजर-बायोएनटेक का टीका ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के टीके की तुलना में बेहतर संरक्षण प्रदान करता है। ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के टीके का भारत में कोविशील्ड नाम से उत्पादन हो रहा है।
इस अध्ययन में एक अप्रैल से छह जून, 2021 तक के आंकड़ों का अध्ययन किया गया है। अध्ययन दल ने इस अवधि में सार्स-सीओवी-2 के संक्रमण के 19,543 मामलों का अध्ययन किया जिनमें से 377 लोगों को स्कॉटलैंड में कोविड-19 के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। इनमें से 7,723 सामुदायिक मामलों और अस्पताल में भर्ती मरीजों के 134 मामलों में कोरोना वायरस के डेल्टा स्वरूप का पता चला है।
अध्ययन में पता चला कि फाइजर के टीके ने दूसरी खुराक के दो सप्ताह बाद अल्फा स्वरूप के खिलाफ 92 प्रतिशत संरक्षण और डेल्टा के खिलाफ 79 प्रतिशत संरक्षण प्रदान किया। इसी तरह एस्ट्राजेनेका का टीका डेल्टा स्वरूप के खिलाफ 60 प्रतिशत सुरक्षित और अल्फा स्वरूप के खिलाफ 73 प्रतिशत सुरक्षित पाया गया।
अध्ययनकर्ताओं ने यह भी पता लगाया कि टीके की दोनों खुराक कोरोना वायरस के डेल्टा स्वरूप के खिलाफ एक खुराक की तुलना में अधिक सुरक्षा कवच प्रदान करती हैं।