केंद्र सरकार (Central Government) ने अनूसूचित जाति (SC), अनूसूचित जनजाति (ST) और ओबीसी (OBC) वर्ग के लिए खुशखबरी दी है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में केंद्र सरकार (Central Government) ने बताया कि इन वर्गों के लोगों को अब सरकारी विभागों में संविदा पर होने वाली भर्तियों में आरक्षण (Reservation) मिलेगा।
नई दिल्ली। केंद्र सरकार (Central Government) ने अनूसूचित जाति (SC), अनूसूचित जनजाति (ST) और ओबीसी (OBC) वर्ग के लिए खुशखबरी दी है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में केंद्र सरकार (Central Government) ने बताया कि इन वर्गों के लोगों को अब सरकारी विभागों में संविदा पर होने वाली भर्तियों में आरक्षण (Reservation) मिलेगा। केंद्र सरकार (Central Government) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में बताया कि सरकारी विभागों में 45 दिन या फिर उससे अधिक की संविदा पर होने वाली भर्तियों में एससी (SC), एसटी (ST) और ओबीसी (OBC) वर्ग को आरक्षण (Reservation) दिया जाएगा। केंद्र सरकार (Central Government) ने कहा कि सभी मंत्रालयों और विभागों को अस्थायी पदों पर इस आरक्षण (Reservation) को सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए गए हैं।
जानकारी के मुताबिक संविदा नौकरियों में एससी (SC), एसटी (ST) और ओबीसी (OBC) वर्ग को आरक्षण (Reservation) देने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एक याचिका दाखिल की गई थी। इसके जवाब में केंद्र सरकार (Central Government) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में बताया कि 2022 में भारत सरकार द्वारा जारी किए विज्ञापन में इस बारे में जानकारी दी गई है। सरकार की ओर से जारी आधिकारिक ज्ञापन (OM) में कहा गया है कि केंद्र सरकार(Central Government) के पदों ओर सेवाओं में नियुक्तियों के संबंध में 45 दिन या उससे अधिक की अस्थायी नियुक्तियों में एससी (SC), एसटी (ST) और पिछड़ा वर्ग (OBC) के उम्मीदवारों को आरक्षण (Reservation) होगा। हालांकि अस्थायी नियुक्तियों में आरक्षण (Reservation) की व्यवस्था 1968 से लागू है। इसे लेकर 2018 और 2022 में भी निर्देश जारी किए जा चुके हैं।
नियमों का पालन न होने पर होगा एक्शन
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में दायर याचिका में एससी (SC), एसटी (ST) और पिछड़ा वर्ग (OBC) वर्ग पर संसदीय समिति की एक रिपोर्ट का हवाला दिया गया था, जिसमें पाया गया कि सभी विभागों द्वारा संविदा नौकरियों में आरक्षण के निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने स्पष्ट करते हुए कहा कि यदि केंद्र सरकार (Central Government) द्वारा जारी आधिकारिक ज्ञापन का उल्लंघन किया जाता है तो एक्शन भी लिया जाएगा।