Rice Export Ban : भारत के गैर-बासमती चावल (Non-Basmati Rice) के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा के बाद पूरे अमेरिका में चावलों की कमी दर्ज की गई है। लोग चावल को पहले से ही खरीदकर रखने की होड़ में लग गए हैं। ऐसे में बढ़ती मांग के जवाब में, कई दुकानों ने ग्राहकों द्वारा खरीदे जाने वाले चावल के बैग की संख्या पर प्रतिबंध लगा दिया है।
Rice Export Ban : भारत के गैर-बासमती चावल (Non-Basmati Rice) के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा के बाद पूरे अमेरिका में चावलों की कमी दर्ज की गई है। लोग चावल को पहले से ही खरीदकर रखने की होड़ में लग गए हैं। ऐसे में बढ़ती मांग के जवाब में, कई दुकानों ने ग्राहकों द्वारा खरीदे जाने वाले चावल के बैग की संख्या पर प्रतिबंध लगा दिया है।
इधर-उधर भटके लोग, तब भी नहीं मिले चावल
अमेरिका में रहने वाली अरुणा ने बताया कि उन्होंने सोना मसूरी चावल (Sona Masuri Rice) के लिए अमेरिका में स्थानीय पटेल ब्रदर्स, अपना बाजार, लोटे प्लाजा और अन्य दक्षिण एशियाई किराने की दुकानों को छान मारा। कड़ी मशक्कत के बाद उन्हें चावल का सिर्फ एक बैग ही मिला। उन्होंने कहा कि वह 10 से अधिक दुकानों पर चावल खरीदने के लिए गईं, लेकिन निराशा हाथ लगी। उन्होंने कहा कि सुबह 9 बजे सोना मसूरी चावल (Sona Masuri Rice) की तलाश शुरू की और शाम 4 बजे तक चावल का एक बैग सामान्य कीमत से तीन गुना ज्यादा कीमत पर मिला। पूरे अमेरिका में अरुणा जैसे कुछ लोग चावल की बोरियां घर लाने में कामयाब रहे, जबकि कई अन्य ने खरीद पर प्रतिबंध की सूचना दी
गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर 20 जुलाई को लगा दिया था प्रतिबंध
भारत ने आगामी त्योहारों के दौरान घरेलू आपूर्ति बढ़ाने और खुदरा कीमतों को काबू में रखने के लिए गैर-बासमती सफेद चावल (Non-Basmati Rice) के निर्यात पर 20 जुलाई को प्रतिबंध लगा दिया था। शीर्ष निर्यातक भारत द्वारा रोक लगाने के बाद कीमतों में बढ़ोतरी हुई है, जिससे वैश्विक खाद्य बाजारों पर तनाव बढ़ गया है जो पहले से ही खराब मौसम और बदतर स्थिति से परेशान हैं।
शिशु फार्मूला की कमी आई याद
गैर-बासमती सफेद चावल (Non-Basmati Rice) के निर्यात पर लगे प्रतिबंध ने कोविड-19 महामारी (Covid-19 Pandemic) और यूक्रेन युद्ध के बाद अमेरिका में शिशु फार्मूला की कमी को याद दिला दिया है। अमेरिका में जिन शहरों में चावल की सबसे ज्यादा कमी पता चली है, वहां बड़ी संख्या में भारतीय प्रवासी रहते हैं। इसके अलावा, प्रतिबंध का असर अमेरिका के बड़े-बॉक्स गोदामों पर भी महसूस किया जा रहा है। मैरीलैंड में सपना फूड्स, जो आमतौर पर डीसी, मैरीलैंड और वर्जीनिया या डीएमवी क्षेत्र में सौ से अधिक खुदरा स्टोर और रेस्तरां को चावल भेजता था। वहीं, अब न्यू जर्सी और अन्य जैसे पड़ोसी राज्यों से भी थोक मांग आ रही है।
सोना मसोरी की सबसे ज्यादा मांग
बाल्टीमोर के पास थोक विक्रेता तरूण सरदाना ने मंगलवार को बताया कि पिछले सप्ताह गुरुवार को प्रतिबंध की खबर आते ही चावल की मांग में तेजी आ गई थी। उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा सोना मसूरी चावल (Sona Masuri Rice) के लिए बहुत सारे फोन आ रहे हैं। वीकेंड पर डिमांड और भी ज्यादा थी। सोमवार की सुबह तक हर कोई गोदामों से जितना संभव हो उतना दक्षिण भारतीय चावल प्राप्त करने की कोशिश कर रहा था।
सरदाना ने कहा कि वह अपने गोदाम में चावल के कई अलग-अलग ब्रांडों का भंडार रखते हैं, जिनमें से ज्यादातर भारत से आते हैं, लेकिन वह जो बेचते हैं उनमें से अधिकांश बासमती चावल है, एक प्रीमियम ग्रेड चावल (Premium Grade Rice) जो निर्यात प्रतिबंध में शामिल नहीं है। लेकिन इनसे ज्यादा प्रतिबंध लगाए गए चावलों की मांग ज्यादा है।
भारत में 11 फीसदी अधिक भुगतान कर रहे लोग
बता दें, पिछले साल सितंबर में भारत में एक मीट्रिक टन गैर-बासमती चावल (Non-Basmati Rice) की कीमत लगभग 330 डॉलर थी। केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय (Union Ministry of Consumer Affairs, Food and Public Distribution) के अनुसार, भारत में लोग चावल के लिए एक साल पहले की तुलना में 11.5 प्रतिशत अधिक भुगतान कर रहे हैं।
बासमती की आपूर्ति भी होगी प्रभावित
डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलंबिया, मैरीलैंड और वर्जीनिया (DMV) क्षेत्र में एक भारतीय रेस्तरां मालिक वीणा मेहरोत्रा (Indian Restaurateur Veena Mehrotra) ने कहा कि आने वाले दिनों में बासमती की आपूर्ति भी प्रभावित हो सकती है।