देश से कोरोना का खतरा कम नहीं हो रहा है। कोरोना की दूरी लहर से देश में हाहाकार मचा हुआ है। हजारों लोग कोरोना संक्रमण की चपेट में आकर हर दिन अपनी जान गंवा रहे हैं। इस बीच कोरोना वायरस के हवा में फैलने का खतरा मंडराने लगा है। अब सरकार ने भी पूरी तरह से ये मान लिया है। सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय के मुताबिक, एयरोसोल और ड्रॉपलेट्स कोरोना वायरस के फैलने के प्रमुख कारण हैं।
नई दिल्ली। देश से कोरोना का खतरा कम नहीं हो रहा है। कोरोना की दूरी लहर से देश में हाहाकार मचा हुआ है। हजारों लोग कोरोना संक्रमण की चपेट में आकर हर दिन अपनी जान गंवा रहे हैं। इस बीच कोरोना वायरस के हवा में फैलने का खतरा मंडराने लगा है। अब सरकार ने भी पूरी तरह से ये मान लिया है। सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय के मुताबिक, एयरोसोल और ड्रॉपलेट्स कोरोना वायरस के फैलने के प्रमुख कारण हैं।
कोरोना से संक्रमित व्यक्ति के ड्रॉपलेट्स हवा में दो मीटर तक जा सकते हैं, जबकि एयरोसोल उन ड्रॉपलेट्स को 10 मीटर तक आगे बढ़ा सकता है और संक्रमण का खतरा पैदा कर सकता है। यही नही एक संक्रमित व्यक्ति जिसमें कोई लक्षण नहीं दिख रहे हैं, वह ‘वायरल लोड’ बनाने लायक पर्याप्त ड्रांपलेट्स छोड़ सकता है, जो कई अन्य लोगों को संक्रमित कर सकता है।
इससे साफ होता है कि अब कोरोना से बचने के लिए 10 मीटर की दूरी भी काफी नहीं है। वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय के मुताबिक, संक्रमित व्यक्ति के सांस छोड़ने, बोलने, गाने, हंसने, खांसने और छींकने से लार और नाक से निकलने वाले स्राव में वायरस निकलता है, जो दूसरों को भी संक्रमित कर सकता है।
इसलिए संक्रमण के इस चेन को तोड़ने के लिए कोविड एप्रोप्रियेट बिहेवियर का पालन करना बहुत ही जरूरी है। मास्क पहनें, सुरक्षित शारीरिक दूरी बनाएं और हाथ धोते रहें। विशेषज्ञों के मुताबिक, एक संक्रमित व्यक्ति में लक्षण दिखने में दो सप्ताह तक का समय लग सकता है, इस दौरान वे दूसरों को भी संक्रमित कर सकते हैं। इसके अलावा कुछ लोगों में लक्षण नहीं भी दिखते हैं, फिर भी वे वायरस फैला सकते हैं