घोटाले की जांच को लेकर कई सवाल उठने लगे हैं। दरअसल, सवाल ये उठ रहा है कि जिस अभियंता को मुख्य आरोपी बनाया गया है वह अकेले ही इस अनियमितता की पठकथा लिखी है या फिर इसमें कई बड़े ब्यूरोक्रेटस और नेताओं का भी संरक्षण था। सूत्रों की माने तो रिवर फ्रंट घोटाले में विभाग के तत्कालीन मंत्री और प्रमुख सचिव को भी जांच के दायरे में लाना चाहिए तभी इस मामले में कई अहम तथ्य सामने आ सकते हैं।
लखनऊ। समाजवादी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट रिवर फ्रंट के निर्माण में हुई अनियमितता को लेकर सीबीआई ने जांच तेज कर दी है। शासन की तरफ से सीबीआई को अभियंता रूप सिंह यादव के पर मुकदमा चलाने की अनुमति मिल गई है। वहीं, अभी तक इस घोटाले में किसी बड़े अफसर या सफेदपोश तक जांच की आंच नहीं पहुंची है।
लिहाजा, घोटाले की जांच को लेकर कई सवाल उठने लगे हैं। दरअसल, सवाल ये उठ रहा है कि जिस अभियंता को मुख्य आरोपी बनाया गया है वह अकेले ही इस अनियमितता की पठकथा लिखी है या फिर इसमें कई बड़े ब्यूरोक्रेटस और नेताओं का भी संरक्षण था। सूत्रों की माने तो रिवर फ्रंट घोटाले में विभाग के तत्कालीन मंत्री और प्रमुख सचिव को भी जांच के दायरे में लाना चाहिए तभी इस मामले में कई अहम तथ्य सामने आ सकते हैं।
अगर जांच अभियंता रूप सिंह यादव समेत अन्य लोगों तक ही सीमित रह गई तो इस घोटाले के मास्टरमाइंड के बचने की आशंका है। बता दें कि, सपा सरकार ने रिवर फ्रंट निर्माण के लिए 1513 करोड़ रुपए स्वीकृत किए थे। इसमें से 95 प्रतिशत यानी 1437 करोड़ रुपये जारी भी हो गए। इस हिसाब से 95 फ़ीसदी बजट जारी होने के बाद भी 40 फीसदी काम अधूरा ही रहा।
घोटाले में इनका नाम आया था सामने
सीबीआई कि जांच में खुलासा हुआ था कि गोमती रिवर फ्रंट के निर्माण से जुड़ें इंजीनियरों ने कई दागी कम्पनियों को काम दे दिया था। इसके साथ ही विदेशों से मंहगी दर पर समान खरीदा गया। इसके साथ ही चैनलाइजेशन के कार्य में भी बड़े पैमाने पर घोटाला किया गया था। अभी तक रिवर फ्रंट घोटाले में सिंचाई विभाग के 8 इजीनियरों के खिलाफ सीबीआई समेत पुलिस और ईडी ने जांच की है। इन इंजीनियरों में तत्कालीन चीफ इंजीनियर गोलेश चन्द्र गर्ग, एसएन शर्मा, काजिम अली, शिवमंगल सिंह, कमलेश्वर सिंह, रूप सिंह यादव, सुरेन्द्र यादव शामिल हैं।